अंडमान सागर में त्रिपक्षीय शांतिकालीन युद्धाभ्‍यास सिटमैक्‍स-20

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अंडमान सागर में त्रिपक्षीय शांतिकालीन युद्धाभ्‍यास सिटमैक्‍स-20
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भारत लगातार कई देशो के साथ मिलकर अपने नेवी के साथ अभ्यास कर रहा है - जहाँ एक ओर पडोसी देश को सन्देश देना है की वो कोई हिमाकत न करे वही विश्व शांति में भारतीय नेवी की भूमिका को भी रेखांकित किया जा रहा है-

इसी क्रम में भारतीय नौसेना के स्‍वदेश निर्मित एएसडब्‍ल्‍यू कोर्वेट 'कामोरता' और मिसाइल कोर्वेट 'करमुख' पोत भारत सिंगापुर और थाईलैंड के त्रिपक्षीय शांतिकालीन युद्धाभ्‍यास सिटमैक्‍स-20 के दूसरे संस्‍करण में भाग लेंगे। यह अभ्‍यास अंडमान सागर में 21-22 नवम्‍बर, 2020 को हो रहा है।

इस तरह के नेवल अभ्यास से जहाँ एक ओर कई देशो के बीच सम्बन्ध विकसित होता है वही दूसरी ओर दुसरे लोगो की तैयारी का भी पता चलता है जिससे भविष्य में किसी भी तरह के नेवल अभ्यास और सहयोग को त्वरित रूप से किया जा सके -

भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित सिटमैक्‍स का पहला संस्‍करण सितम्‍बर, 2019 को पोर्ट ब्‍लेयर से कुछ दूर सागर में किया गया था। सिटमैक्‍स श्रृंखला के यह अभ्‍यास भारतीय नौसेना, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी (आरएसएन) और रॉयल थाई नेवी (आरटीएन) के बीच परस्‍पर श्रेष्‍ठ सहयोग और अंतर संचालन क्षमता के विकास के लिए आयोजित किए जाते हैं। 2020 के संस्‍करण के अभ्‍यास का आयोजन आरएसएन ने किया है।

इस तरह के अभ्यास से चीन को भी साफ़ सन्देश दिया जा रहा है की वो अपनी विस्तारवादी नीति से पीछे चला जाये नहीं तो भारत अब इसे बर्दाश्त नहीं करेगा -

अभ्‍यास में आरएसएन की ओर से उसके 'दुर्जेय' श्रेणी के फ्रिगेट 'इंटरपिड' और 'एन्‍ड्योरेन्‍स' श्रेणी के टैंक लैंडिंग शिप 'एन्‍डेवर' तथा आरटीएन की ओर से चाओ फ्राया श्रेणी का फ्रिगेट 'काराबुरी' भाग ले रहे हैं।

यह अभ्‍यास कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बिना किसी संपर्क के, सिर्फ सागर में (नॉन कॉन्‍टैक्‍ट, एट सी ऑनली) आयोजित किया जा रहा है। इसका लक्ष्‍य तीनों मित्र देशों और शांतिकालीन पड़ोसियों के बीच शांतिकाल में समन्‍वय, सहयोग और साझेदारी का विकास करना है। दो दिन के इस शांतिकालीन अभ्‍यास में तीनों नौसेनाएं सतह पर युद्ध अभ्‍यास, हथियारों से फायरिंग और नौसैनिक करतब जैसे विभिन्‍न अभ्‍यास कर रही हैं।

इन मित्र नौसेनाओं के बीच अंतर संचालनीयता में सुधार लाने के अलावा सिटमैक्‍स श्रृंखला के अभ्‍यासों का उद्देश्‍य न सिर्फ परस्‍पर विश्‍वास को सुदृढ करना है बल्कि क्षेत्र में शांतिकाल में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आपसी समझदारी और प्रक्रियाओं के विकास को भी सुदृढ़ करना है।

(पीआईबी के इनपुट के साथ )


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