बाल अधिकार सप्ताह 2025: हर बच्चे के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का निर्माण

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बाल अधिकार सप्ताह 2025: हर बच्चे के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य का निर्माण
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14 नवंबर को राष्ट्रीय बाल दिवस (National Children’s Day) और 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस (World Children’s Day) के अवसर पर, बच्चे (अधिकारधारी – Rights-holders) और सरकार व प्रमुख हितधारक (कर्तव्यधारी – Duty-bearers) उत्तर प्रदेश में बाल अधिकार सप्ताह (Child Rights Week) के उत्सव की तैयारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 से 21 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात सप्ताह (National Newborn Week) भी मनाया जाएगा, जिसका उद्देश्य नवजात शिशुओं के जीवन को सुरक्षित करना और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।

सप्ताहभर चलने वाली गतिविधियाँ, जो बच्चों, बचपन और बाल अधिकारों का उत्सव मनाती हैं, विभिन्न हितधारकों द्वारा आयोजित की जा रही हैं, जिनमें सरकार, नागरिक समाज संगठन और स्वयं बच्चे व युवा शामिल हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई स्कूल और बाल देखभाल संस्थान (Child Care Institutions/ बाल गृह) बच्चों के लिए सीखने और मज़ेदार गतिविधियों का आयोजन करेंगे, जो बच्चों के अधिकारों के विभिन्न पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, संरक्षण, सुरक्षित वातावरण और बच्चों की आवाज़ व भागीदारी पर केंद्रित होंगी। विभिन्न जिलों के बाल देखभाल संस्थानों के बच्चे रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेंगे, जैसे गायन, नृत्य, कविता लेखन, चित्रकला, आत्मरक्षा कौशल, किचन गार्डन, ऑनलाइन सुरक्षा और कई अन्य। इन गतिविधियों का समापन 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस पर राज्य स्तरीय उत्सव में होगा।

सभी बच्चों को बाल दिवस, बाल अधिकार सप्ताह और नवजात सप्ताह की शुभकामनाएँ देते हुए, यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रमुख डॉ. ज़कारी आदम ने बताया कि इस वर्ष विश्व बाल दिवस की वैश्विक थीम है – ‘माय डे, माय राइट्स’ (My Day, My Rights)। बच्चे वयस्क हितधारकों का ध्यान इस बात पर आकर्षित कर रहे हैं कि बच्चों के अधिकारों और कल्याण की दिशा में कितनी प्रगति हुई है और किन क्षेत्रों में अभी भी कमी है। यूनिसेफ इंडिया ने सप्ताह के दौरान एक डिजिटल अभियान शुरू किया है – ‘द चाइल्ड इन मी: माय प्रॉमिस टू चिल्ड्रन’ (The Child in Me: My Promise to Children), जो सभी वयस्कों – कर्तव्यधारी, हितधारक, मीडिया और प्रभावशाली व्यक्तियों से आग्रह करता है कि वे अपने बचपन के अनुभवों पर विचार करें, अपने आसपास के बच्चों से बात करें, उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं को समझें और किसी एक मुद्दे पर वादा करें, जिससे हर बच्चे के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और सशक्त दुनिया बनाई जा सके। राज्य का ‘विकसित उत्तर प्रदेश’ का सपना तभी पूरा होगा जब हर बच्चा और बच्ची जीवित रहे, आगे बढ़े और अपनी पूरी क्षमता हासिल करे। हर संगठन, संस्था, परिवार, समुदाय और व्यक्ति को बच्चों के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता देनी होगी। “बच्ची-बच्चा आगे तो उत्तर प्रदेश आगे,” डॉ. ज़कारी आदम ने कहा।

इस वर्ष का मुख्य फोकस है – बच्चों के लिए न्याय (Justice for Children)। बच्चों के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण बनाने से संबंधित कई हितधारक परामर्श आयोजित किए जा रहे हैं, जो उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति (High Court Juvenile Justice Committee – HCJJC) के तत्वावधान में, महिला एवं बाल विकास विभाग (Department of Women and Child Development), उत्तर प्रदेश सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से हो रहे हैं। उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति, इलाहाबाद, राज्य में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice Act, 2015) और अन्य बाल अधिकार व बाल संरक्षण मुद्दों के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए सर्वोच्च न्यायिक निकाय है।

14 से 22 नवंबर तक होने वाले ‘जस्टिस फॉर चिल्ड्रन’ (Justice for Children) सम्मेलनों में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा:

बाल देखभाल संस्थानों के लिए शिक्षण पद्धति (Pedagogy) का क्रियान्वयन, जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की क्षमता विकास पर ध्यान होगा (SCERT द्वारा आयोजित)

राज्य में विशेष किशोर पुलिस इकाइयों (Special Juvenile Police Units – SJPU) को सशक्त बनाना (महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन और पुलिस विभाग द्वारा) SJPU किशोर न्याय अधिनियम के तहत परिभाषित एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है। POCSO अधिनियम के साथ मिलकर, SJPU की दोहरी जिम्मेदारी है – बच्चों की देखभाल और संरक्षण (Children in Need of Care and Protection – CNCP) और कानून के साथ संघर्ष में बच्चों (Children in Conflict with Law – CICL) के मामलों में ‘प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता’ (First Responder) के रूप में कार्य करना, साथ ही यौन शोषण के पीड़ितों की सहायता करना।

बच्चों के लिए कानूनी सहायता सेवाओं (Legal Aid Services) को मजबूत करना (कानूनी सहायता प्राधिकरण द्वारा)

दिव्यांग बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना (Rights of Children Living with Disability), जिसका उद्देश्य विभिन्न विभागों की भूमिकाओं को एकीकृत करते हुए एक राज्य स्तरीय अभिसरण कार्य योजना विकसित करना है

बेहतर देखभाल नेटवर्क (Care Network) का निर्माण – जिसमें 18 विश्वविद्यालयों को एक साथ लाया जाएगा ताकि छात्र बाल संरक्षण और किशोर न्याय के क्षेत्रों में शामिल हो सकें और बाल अधिकारों के चैंपियन बन सकें

कानून के साथ संघर्ष में बच्चों का पुनर्वास और पुनः एकीकरण (Rehabilitation and Reintegration), ताकि वे मुख्यधारा समाज में गरिमा के साथ जीवन जी सकें। इसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें रोकथाम, समय पर हस्तक्षेप और बच्चे के जीवन के सभी पहलुओं को संबोधित करना शामिल है।

विश्व बाल दिवस पर, लगभग 300 बच्चे राज्य स्तरीय मेले में एकत्रित होंगे, जिसका नाम है ‘तरंग’ । तरंग को सहभागी सम्मेलन (Participatory Conclave) के रूप में परिकल्पित किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के बाल देखभाल संस्थानों (CCIs) में रहने वाले बच्चे, दिव्यांग बच्चे और देखभाल छोड़ चुके बच्चे शामिल होंगे। तरंग की भावना है – हर बच्चे के लिए समावेश (Inclusion), गरिमा (Dignity) और आवाज़ (Voice)। यह कार्यक्रम उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति, महिला एवं बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित किया जाएगा।

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