भारत का मिलेट मिशन 2.5 करोड़ उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित होगा- श्री मोदी

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भारत का मिलेट मिशन 2.5 करोड़ उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित होगा- श्री मोदी

भारत सरकार की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के उत्सव के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय वैश्विक मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का शुभारंभ आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस उपलक्ष में प्रधानमंत्री ने डाक टिकट व सिक्के का अनावरण तथा श्री अन्न स्टार्टअप और श्री अन्न मानकों के संग्रह को डिजिटल रूप से लांच किया। साथ ही, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से संबंधित भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को बजट में की गई घोषणा के क्रम में उत्कृष्टता का केंद्र घोषित किया।

प्रधानमंत्री ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन व उर्वरक मंत्री श्री मनसुख मांडविया और कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी के साथ, प्रदर्शनी सह क्रेता-विक्रेता सम्मिलन मंडप का भी उद्घाटन किया। सम्मेलन में श्री मोदी ने कहा कि श्री अन्न समृद्धि व समग्र विकास का माध्यम बन रहा है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा, वहीं स्वागत भाषण में श्री तोमर ने कहा कि देश के छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्री अन्न को प्रतिष्ठा प्रदान की है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विदेशी प्रतिनिधियों को श्री अन्न के लिए भारत की ब्रांडिंग पहल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि श्री अन्न केवल भोजन या खेती तक ही सीमित नहीं हैं। भारतीय परंपरा से परिचित लोग किसी भी चीज के आगे श्री लगाने के महत्व को समझेंगे।

श्री अन्न गांवों व गरीबों से जुड़ा हुआ है। श्री अन्न देश के छोटे किसानों के लिए समृद्धि का द्वार, करोड़ों देशवासियों के पोषण की आधारशिला व आदिवासी समुदाय का सम्मान है। श्री अन्न की फसल कम पानी में अधिक प्राप्त की जा सकती है, रसायनमुक्त खेती के लिए यह नींव है, वहीं जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है। श्री अन्न को एक वैश्विक आंदोलन में बदलने के लिए सरकार के लगातार प्रयासों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 2018 में मिलेट्स को पोषक-अनाज घोषित किया गया था, जहां किसानों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करने से लेकर इसमें रूचि पैदा करने तक सभी स्तरों पर काम किया गया।

मोटे तौर पर देश के 12-13 राज्यों में श्री अन्न की खेती की जाती है और प्रति व्यक्ति प्रति माह घरेलू खपत दो-तीन किलो थी, जो बढ़कर अब 14 किलो प्रति माह हो गई है। मिलेट्स खाद्य उत्पादों की बिक्री में भी लगभग 30% की वृद्धि देखी गई है, वहीं एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत 19 जिलों में मिलेट्स भी चुना गया है। श्री अन्न से संबंधित उद्यमों व खेती के लिए स्टार्टअप लाने की युवाओं की पहल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह श्री अन्न के लिए भारत की प्रतिबद्धता का संकेत है। यह सूचित करते हुए कि लगभग 2.5 करोड़ छोटे किसान भारत में मिलेट्स उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत कम भूमि होने के बावजूद उन्हें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इनके लिए भारत का मिलेट मिशन, श्री अन्न का अभियान वरदान साबित होगा। आजादी के बाद पहली बार सरकार ने मिलेट्स उगाने वाले 2.5 करोड़ छोटे किसानों की सुध ली है।

श्री अन्न अब प्रसंस्कृत व पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के माध्यम से दुकानों-बाजारों तक पहुंच रहा है। श्री अन्न बाजार को बढ़ावा मिलने से इन 2.5 करोड़ छोटे किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि श्री अन्न पर काम कर रहे 500 से अधिक स्टार्टअप सामने आए हैं और पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में एफपीओ भी आगे आ रहे हैं। देश में एक पूरी आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जा रही है, जहां छोटे गांवों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं श्री अन्न के उत्पाद बना रही हैं, जो मॉल और सुपरमार्केट में पहुंच रहे हैं।

जी-20 अध्यक्षता के लिए भारत के एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के आदर्श वाक्य पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में मानना अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में भी परिलक्षित होता है। भारत ने हमेशा विश्व के प्रति कर्तव्य की भावना और मानवता की सेवा के संकल्प को प्राथमिकता दी है। योग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि योग का लाभ पूरी दुनिया तक पहुंचे। आज विश्व के 100 से अधिक देशों में योग को बढ़ावा दिया जा रहा है, विश्व के 30 से अधिक देशों ने आयुर्वेद को भी मान्यता प्रदान की है। उन्होंने जोर दिया कि खेत से बाजार तक और एक देश से दूसरे देश में साझा जिम्मेदारियों के साथ श्री अन्न की एक नई आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जानी चाहिए |

(साभार पी। आई.बी। )

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