अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो और एमआरआईसी में समझौता ज्ञापन को भी हरी झंडी,4797 करोड़ रुपए की पृथ्वी योजना को मोदी कैबिनेट की मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 4797 करोड़ रुपए की व्यापक योजना पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) को शुक्रवार को मंजरी दे दी। प्रधानमंत्री...
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 4797 करोड़ रुपए की व्यापक योजना पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) को शुक्रवार को मंजरी दे दी। प्रधानमंत्री...
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 4797 करोड़ रुपए की व्यापक योजना पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) को शुक्रवार को मंजरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशा की प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। पृथ्वी विज्ञान योजना को 2021-26 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है। इस योजना में पांच उप-योजनाएँ , वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणाली और सेवाएँ , महासागर सेवाएँ, मॉडलिंग अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी , ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान, भूकंप विज्ञान तथा भूविज्ञान और अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच शामिल हैं।
पृथ्वी योजना के प्रमुख उद्देश्यों में पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी के दीर्घकालिक अवलोकनों का संवर्द्धन और रखरखाव। मौसम, महासागर और जलवायु खतरों को समझने और भविष्यवाणी करने और जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिए मॉडलिंग सिस्टम का विकास। नई घटनाओं और संसाधनों की खोज की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज। सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्री संसाधनों की खोज और टिकाऊ दोहन के लिए प्रौद्योगिकी का विकास। पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान और अंतर्दृष्टि का सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के लिए सेवाओं में अनुवाद शामिल है। वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त लघु उपग्रह के विकास के सहयोग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और मॉरीशस अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (एमआरआईसी) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसरो और एमआरआईसी के बीच एक नवंबर, 2023 को पोर्ट लुइस, मॉरीशस में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया। यह समझौता ज्ञापन एक संयुक्त उपग्रह के विकास के साथ-साथ एमआरआईसी के भूकेंद्र के उपयोग पर सहयोग के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने में मदद करेगा। संयुक्त उपग्रह के लिए कुछ उपप्रणालियां भारतीय उद्योगों की भागीदारी के माध्यम से अपनाई जाएंगी और इससे उद्योगों को लाभ होगा। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से इसरो और एमआरआईसी के बीच छोटे उपग्रह का संयुक्त कार्यान्वयन संभव हो सकेगा। उपग्रह कार्यान्वयन को 15 महीने की समय सीमा में पूरा करने का प्रस्ताव है। संयुक्त उपग्रह की अनुमानित लागत 20 करोड़ रुपये है, जिसे भारत वहन करेगा।