प्रधानमंत्री ने वाराणसी में काशी सहित प्रदेश एवं देश के विकास से सम्बन्धित 6611.18 करोड़ रु0 लागत की 23 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया

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प्रधानमंत्री ने वाराणसी में काशी सहित प्रदेश एवं देश के विकास से सम्बन्धित 6611.18 करोड़ रु0 लागत की 23 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि काशी के लिए आज का दिन, बहुत ही शुभ है। आज काशी में आंखों के एक बड़े अस्पताल का लोकार्पण किया गया है। यहां हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण भी हुआ है। इनमें देश और उत्तर प्रदेश के विकास को नई ऊंचाई देने वाले प्रोजेक्ट्स भी हैं। आज शिक्षा, कौशल विकास, खेल, स्वास्थ्य, पर्यटन सहित हर सेक्टर के प्रोजेक्ट्स बनारस को मिले हैं।

यह सभी प्रोजेक्ट्स सुविधा के साथ-साथ हमारे नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक नए अवसर भी लेकर आए हैं। प्रधानमंत्री ने आज वाराणसी में काशी सहित प्रदेश एवं देश के विकास से सम्बन्धित 6611.18 करोड़ रुपये लागत की 23 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अंगवस्त्र तथा हॉकी व बैटबॉल का प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया।

प्रधानमंत्री ने सिगरा स्टेडियम सहित 380.13 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 14 परियोजनाएं जनता को समर्पित कीं। उन्होंने 2,870 करोड़ रुपये की लागत से लाल बहादुर शास्त्री अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तारीकरण में शामिल नए टर्मिनल भवन समेत अन्य कार्य व 4.17 करोड़ रुपये की लागत से कस्तूरबा गांधी विद्यालय, आराजी लाइन में एकडेमिक ब्लॉक व गर्ल्स हॉस्टल के निर्माण की नींव भी रखी। यह परियोजनाएं काशी के विकास को नए आयाम देंगी। खिलाड़ियों को मॉडल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और जनता को चिकित्सा समेत अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।

प्रो-पुअर योजना से सारनाथ के पर्यटन विकास को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। सिपेट में तकनीकी छात्रों को प्रवास की बेहतर सुविधा उनके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री जी ने सहारनपुर के सरसावा हवाई अड्डे का लोकार्पण तथा आगरा हवाई अड्डे के सिविल एन्क्लेव का शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उन्हें सारनाथ के विकास से जुड़ी करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण करने का भी अवसर मिला है। कुछ समय पहले हमने कुछ भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी, उसमें पाली और प्राकृत भाषाएं भी हैं। पाली और प्राकृत भाषा का सारनाथ एवं काशी से विशेष नाता है।

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