अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी में कामकाज करने का चलन बढ़ा है :प्रोफ़ेसर संजय सिंह

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अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी में कामकाज करने का चलन बढ़ा है :प्रोफ़ेसर संजय सिंह
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बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हिंदी में कामकाज के चलन को बढ़ावा दिया है जिसका प्रभाव भी दिखाई दे रहा है।

प्रोफेसर संजय सिंह ने कहा कि हिंदी में बोलना और बातें करना जैसे अपने हृदय से निकली हुई बात होती है और उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भी हिंदी में बोलकर अपनी बात रखी जो आयोजकों को भी काफी अच्छी लगी।




प्रोफेसर संजय सिंह ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ,कर्मचारियों , छात्र-छात्राओं सभी को बधाई देते हुए हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देने के लिए सबको धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता हिंदी के प्रोफेसर बृजेश ने बताया कि किस तरह हिंदी अन्य भाषाओं से मिलकर समृद्ध हो रही है।




उन्होंने इतिहास के उदाहरणों से वर्तमान में सीख लेने की सलाह दी और बताया कि किस तरह हिंदी भारत में अपनी जगह बना चुकी है और वह जन-जन की भाषा है।

मीडिया और संचार विद्यापीठ के डीन प्रो गोविंद पांडे ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा की अभिजात्य वर्ग ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भेद पैदा करके दूरी पैदा कर दी और षड्यंत्र के तहत अंग्रेजी को स्थापित कर दिया।

अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एवं वित्त अधिकारी प्रोफेसर सनातन नायक ने बताया किस तरह उड़िया भाषी होते हुए भी उन्होंने हिंदी को अपनाया और अब हिंदी में बोलते हुए उन्हें कोई हिचक नहीं होती।




हिंदी के विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रोफेसर सर्वेश सिंह ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जिस तरह से उन्होंने अंग्रेजी सीखी है ,उसी तरह से वह अपनी बोलियों भोजपुरी हो या अवधी उस से होते हुए हिंदी भाषा को सीखा और आत्मसात किया।

लाइब्रेरी और सूचना विभाग के प्रोफेसर एमपी सिंह ने बताया कि कैसे फादर कामिल बुल्के ने हिंदी और संस्कृत को बेटी और बहू बताया और अंग्रेजी को नौकरानी, फिर भी अंग्रेजी का कब्जा हो गया और हिंदी लोगों से दूर हो गयी।

डिपार्टमेंट ऑफ लॉ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सूफिया ने बताया कि किस तरह आजकल के बच्चे हिंदी न जानने को अच्छा बताते हैं।

हिंदी विभाग के ही प्रोफेसर गंगवार में कहा कि हिंदी समारोह में आते आते बहुत साल हो गए हैं पर बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है।

इस समारोह का संचालन कर रहे प्रोफेसर रिपुसूदन सिंह ने कुलपति प्रोफ़ेसर संजय सिंह और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह का स्वागत किया साथ ही साथ उन्होंने बताया कि किस तरह से विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग, हिंदी सेल, की स्थापना हुई और विश्वविद्यालय में हिंदी में कामकाज का चलन बढ़ा।

कार्यक्रम के आयोजन में एके शुक्ला, श्रीमती अनीता अग्रवाल, गुप्ता जी व अन्य कई कर्मचारियों सहयोग किया।



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