खोरी गाँव : जंगल पर अतिक्रमण नहीं हो सकता, लोगों को वहां रहने का हक़ नहीं- कोर्ट

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
खोरी गाँव : जंगल पर अतिक्रमण नहीं हो सकता, लोगों को वहां रहने का हक़ नहीं- कोर्ट

फ़रीदाबाद ज़िले के खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए क़रीब दस हज़ार आवासीय निर्माण हटाने का आदेश दिया है. जंगल की ज़मीन पर अनधिकृत निर्माण को ढहाने के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उसने बार-बार वन भूमि पर निर्माण को लेकर सवाल उठाया था।

न्यायालय की यह टिप्पणी कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एक वकील की दलीलें सुनने के बाद आई, जिसने फरीदाबाद नगर निगम की पुनर्वास योजना में पात्रता मानदंड सहित आवास के अधिकार, आजीविका के अधिकार और जीवन के अधिकार जैसी दलीलें दी थी।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की खंडपीठ ने कहा, 'कृपया समझें कि आपको जंगल में रहने का कोई अधिकार नहीं था। जंगल में रहने के अधिकार का दावा कोई नहीं कर सकता। यह खुली जमीन नहीं है, जिस पर कोई भी कब्जा कर सकता है.'

पीठ ने कहा, 'जंगल में रहने का कोई अधिकार नहीं है आपको हटा दिया गया है क्योंकि यह एक वन क्षेत्र है और वह घोषणा थी। न्यायालय बार-बार उस जमीन पर संरचनाओं के अस्तित्व पर सवाल उठाता रहा है।'

सुनवाई के दौरान कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने योजना में पात्रता शर्तों और आवासीय प्रमाण स्थापित करने के लिए दस्तावेजों सहित कुछ पहलुओं पर अपनी दलीलें रखीं।

पीठ ने कहा कि पहला मुद्दा अनिवार्य रूप से घर के असली मालिक की पहचान करना और यह तय करना है कि क्या इस तरह के ढांचे को गिराया गया था। दूसरा मुद्दा यह है कि क्या व्यक्ति अवैध ढांचा ढहाये जाने के बदले पुनर्वास का पात्र है।

पीठ ने पारिख से कहा, 'जहां तक पहचान का सवाल है, यह वास्तविक कब्जाधारी सहित उन सभी के हित में है, जो पुनर्वास के पात्र हैं.' नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने कहा कि खोरी गांव में आवेदकों के निवास का प्रमाण स्थापित करने का स्रोत केवल 'आधार कार्ड' नहीं हो सकता.

पीठ ने कहा कि आधार कार्ड को निवास के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है, इसे पहचान के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसने कहा कि जिस ढांचे को गिराया गया था, उसके अस्तित्व और अन्य प्रासंगिक चीजों की जांच निगम को करनी होगी. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तिथि मुकर्रर की है।

शीर्ष अदालत ने गत आठ अक्टूबर को कहा था कि पुनर्वास योजना के तहत पात्र आवेदकों को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) फ्लैटों का अस्थायी आवंटन करने के लिए आधार कार्ड नगर निगम द्वारा प्रामाणिक दस्तावेजों में से एक होगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में शीर्ष अदालत ने नागरिक निकाय को अस्थायी आवंटन में सत्यापन के लिए आधार कार्ड के साथ आवेदनों को संसाधित करने का निर्देश दिया था.

पीठ ने स्पष्ट किया था कि ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का अस्थायी आवंटन से व्यक्ति के पक्ष में तब तक कोई अधिकार नहीं मिलेंगे, जब तक कि वह पुनर्वास योजना के तहत अनिवार्य रूप से अपनी पात्रता स्थापित नहीं कर लेता।

शीर्ष अदालत में पहले दायर एक स्थिति रिपोर्ट में नगर निगम ने खोरी 'झुग्गियों' के पात्र आवेदकों को पुनर्वास योजना के तहत आवंटन की प्रक्रिया के लिए संशोधित समयसीमा सहित विवरण दिया था।

Tags:    khori village
Next Story
Share it