उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं पीडि़त और मुझे संसद में अपमान सहना पड़ा

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैं पीडि़त और मुझे संसद में अपमान सहना पड़ा
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह विपक्ष के एक सांसद द्वारा उनकी मिमिक्री किए जाने से आहत हैं और वह इस घटनाक्रम के पीडि़त हैं। उन्होंने कहा, मैं एक पीडि़त हूं। मैं जानता हूं कि मैंने संसद में इसे कैसे झेला है। इस तरह का अपमान सहना भी भारत माता की सेवा ही है।रविवार को उपराष्ट्रपति ने अपने आधिकारिक आवास पर भारतीय सांख्यिकी सेवा के परिवीक्षार्थियों से मुलाकात के दौरान यह बात कही है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने परिवीक्षार्थियों को आलोचना सहन करने की सीख दी।उन्होंने कहा, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए भी लोग मुझे नहीं बख्शते हैं। क्या इससे मेरी मानसिकता बदलनी चाहिए? क्या इससे मेरा रास्ता भटक जाना चाहिए? नहीं! धर्म के रास्ते पर, हमें हमेशा आगे बढऩा चाहिए।उन्होंने कहा, जिन लोगों (आलोचकों) का पाचन तंत्र हमारे विकास के लिए खराब है, उनसे कभी भी डरना नहीं चाहिए।

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