मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्यों हो गए भाव विह्वल ?

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आज योगी आदित्यनाथ के लिए एक ऐसा दिन था जहां वो राज्य के मुखिया होने के नाते हर काम दुरुस्त होता देखना चाहते थे वही उनका संत रूप भी बार बार राम लल्ला के लिए बेचैन हो कर बाहर निकल आ रहा था |

अपने सामने संतों की भीड़ देख संत मन का भाव विह्वल हो जाना स्वाभाविक था पर राज धर्म के कारण वो अपने आप को बहुत रोके हुए थे पर जब मोदी के स्वागत के लिए खड़े हुए तो उनके संत रूप ने आज नया आयाम लोगों को दिखाया |

उन्होंने बताया की ये दिन उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | एक तरफ सूबे की चिंता तो दूसरी ओर रामलल्ला के कार्य मे विघ्न न पड़े और सब कुछ बिना विघ्न के सम्पन्न हो जाए यही मन मे लिए जब वो मोदी जी के स्वागत भाषण के लिए खड़े हुए तो खुद को विचार सून्य बात दिया |

ये राम नाम की महिमा है की मुख्यमंत्री योगी और संत योगी दोनों एक दूसरे मे समा गए और जिस नए व्यक्ति को लोगों ने देखा वो धर्म का पालन करने वाला राजसत्ता के शिखर पर संत बन कर बैठने वाले भरत की तरह दिखाई दे रहे थे |

सत्ता को छोड़ जिस तरह महाराज भरत ने शासन किया उसी तरह कुछ आज योगी दिखाई पड़ रहे थे | ये राम का प्रताप ही है की सत्ता के शिखर पर भी उसका मोह न जागे, ये काम है राम भक्ति का |

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