प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार :शारदीय नवरात्र तीन से, चतुर्थी दो दिन, नवमी की हानि

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प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार :शारदीय नवरात्र तीन से, चतुर्थी दो दिन, नवमी की हानि
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शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है ,मां जगदम्बा का डोली पर आगमन हो रहा है जिसका फल अतिशय कष्ट व विपति है। , जो 11 अक्टूम, महानवमी तक चलेगा माँ का घर गमन हाथी पर हो रहा जिससे अत्यधिक वर्षा होगी। अतः इस बार माता का आना-जाना दोनों शुभ नहीं है।

प्रतिपदा को प्रका तैलाभंग स्नानादि कर मन में संकल्पादि लेना चाहिए। संकल्प में तिथि, चार नहार गोत्र, नामादि लोकर' जगदम्बा के प्रसन्नार्थ प्रसाद स्वरूप दीनु विमूल लक्ष्मी, पर, पुत्र-पौत्रादि स्थिर लक्ष्मी, कोर्तिनाभ, अनु पराजय, सभी तरह के कार्यों के सिद्धार्थ सर कलश स्थापन, दुर्गा पूजा, कुमारी पूज्य करेंगे या करूगी, इस प्रकार संकल्प करना चाहिए। उसके उपरांत गणपति पूजन, नाह पूजन, पुण्यर्याल्वाचन, नांदी, मात्रिका पूजन इत्यादि करना चाहिए। तदुपरांत मां दुर्गा का पंचोपचार या षोडोपचार पूजन करना चाहिए।

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस बार के नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी तिथि का क्षय है |

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त :

शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात तीन अक्टूबर को कलश स्थापन का मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक, उसके बाद अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 37 मिनट से मध्याह्न 12 बजकर 23 मिनट तक अतिसुभ रहेगा। हालांकि शाम तक कभी भी घट स्थापन किया जा सकता है।

11 अक्टूबर को हो महाष्टमी व महानवमी दोनों का व्रत किया जायेगा। महाष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को प्रातः 7 बजकर 29 पर लगेगी जो 11 अक्टूबर को प्रातः 6 :52 मिनट तक रहेगी। इसके बाद 06 बजकर 52 मिनट से नवमी तिथि लग जायेगी जो 12 अक्टूबर को भोर 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी |

व्रत का पारन :

महाष्टमी व्रत 11 को किया जायेगा और 12 अक्टूबर को भोर 5 :४७ मिनट से पूर्व किया जाना चाहिए | नवरात्र व्रत का 12 अक्टूबर को 6 बजकर १३ मिनट के बाद करना चाहिए

महानिशा पूजन निसितकाल में 10/11 अक्टूबर को किया जायेगा। महागौरी माता अन्नपूर्णा की परिक्रमा 11 अक्टूबर को प्रातः 06 बजकर 52 मिनट से पूर्व करना चाहिए। नवरात्र की पारन उदयकालीन दशमी में 12 अक्टूबर को किया जायेगा। सायं काल में मां दुर्गा का प्रतिमा विसर्जन होगा।

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