अवध फिल्म फेस्टिवल: सिनेमा के माध्यम से समाज सुधार का संकल्प
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में 16 और 17 नवंबर 2024 को आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल ने समाज को दिशा देने वाले विषयों पर आधारित फिल्मों के...
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में 16 और 17 नवंबर 2024 को आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल ने समाज को दिशा देने वाले विषयों पर आधारित फिल्मों के...
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में 16 और 17 नवंबर 2024 को आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल ने समाज को दिशा देने वाले विषयों पर आधारित फिल्मों के माध्यम से नई चेतना जगाने का प्रयास किया। इस दो दिवसीय आयोजन में देशभर से चुनी गई 100 प्रेरणादायक फिल्मों की प्रस्तुति की गई। जिनमे से 54 फ़िल्मों को प्रतियोगिता के लिए चुना गया।
फेस्टिवल की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। दीप प्रज्वलन भारतीय संस्कृति में ज्ञान, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है।
कार्यक्रम में अतुल कुमार पांडे (फिल्म निर्देशक), नरेंद्र ठाकुर (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख), प्रोफेसर एन.एन.पी. वर्मा (कुलपति), प्रोफेसर गोविंद जी पांडे ( विभागाध्यक्ष, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग) अनिल त्रिवेदी (पूर्व निदेशक भारतेंदु नाटक कला अकादमी) मंच पर उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए अवध चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द जी पांडेय ने भारतीय संस्कृति और समरसता पर चर्चा करते हुए सिनेमा को समाज सुधार का माध्यम बताया। उन्होंने ऐतिहासिक फिल्मों जैसे अछूत कन्या और दो बीघा जमीन के माध्यम से सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी को रेखांकित किया
विशिष्ठ अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री अतुल पांडे ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि 5G पीढ़ी के पास अद्भुत संसाधन हैं, और उन्हें इनका उपयोग सिनेमा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करना चाहिए। श्री अतुल पांडे ने कहा, “सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं है; यह समाज को शिक्षित करने और बदलने का एक शक्तिशाली साधन है। युवा फिल्मकारों को शोध और सृजन में उत्कृष्टता लानी चाहिए।” उन्होंने दर्शकों के महत्व पर भी बल दिया और कहा कि अच्छी फिल्मों को सराहने और उनका प्रचार करने में दर्शकों की अहम भूमिका होती है।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री नरेंद्र ठाकुर ने भारतीयता के दृष्टिकोण से फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया और मणिकर्णिका जैसी फिल्मों का उदाहरण दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर एन.एन.पी. वर्मा ने अतिथियों और आयोजन समिति का धन्यवाद करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश भी फैलाते हैं। अवध फिल्म फेस्टिवल का यह आयोजन सिनेमा को समाज सुधार के एक प्रभावी माध्यम के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उदघाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अवध चित्र साधना के सचिव अरुण त्रिवेदी जी ने कहा कि अवध चित्र साधना स्थानीय स्तर के युवाओं और अवध क्षेत्र के साथ सभी प्रकार के लोगों को फिल्म प्रदर्शन के लिए मंच प्रदान करता है। उन्होंने अतिथियों के साथ-साथ विद्यार्थियों का भी आभार व्यक्त किया।
फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम के इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रचार प्रमुख सुभाष जी, सह प्रचार प्रमुख मनोजकांत जी, अवध प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे जी, सहप्रचार प्रमुख डॉ. लोकनाथ जी, काशी विद्यापीठ के प्रो. ओपी सिंह जी, बीबीएयू जनसंचार एवम पत्रकारिता विभाग के डॉ. महेंद्र कुमार पाढ़ी जी, डॉ. कुंवर सुरेंद्र बहादुर जी, डॉ. अरविंद जी, डॉ. मो. नसीब जी सहित बीबीएयू के साथ लखनऊ में सभी पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।