प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार चैत्र नवरात्र में बनेंगे कई शुभ योग
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से आरंभ होगा हिंदी नव वर्ष के प्रथम दिन से आरंभ होने वाला नवरात्रि इस बार 8 दिन का होगा इसके साथ ही इसमें कई शुभ योग भी बन...


चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से आरंभ होगा हिंदी नव वर्ष के प्रथम दिन से आरंभ होने वाला नवरात्रि इस बार 8 दिन का होगा इसके साथ ही इसमें कई शुभ योग भी बन...
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से आरंभ होगा हिंदी नव वर्ष के प्रथम दिन से आरंभ होने वाला नवरात्रि इस बार 8 दिन का होगा इसके साथ ही इसमें कई शुभ योग भी बन रहे हैं |
वासंतिक नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि, राव, सिद्धि और रवि पुष्य योग समेत नौ महासंयोग बन रहे हैं। नवरात्र में पंचमी तिथि का क्षय है।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया कि काशी के पंचांगों के अनुसार वासंतिक नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल को महानवमी तक होगा। नवरात्र के नौ दिनों का व्रत रखने वाले सात अप्रैल को पारण करेंगे। महाष्टमी व्रत का पारण नवमी तिथि यानी छह अप्रैल को होगा। इस बार नवरात्र आठ दिन का है और चैत्र शुक्ल पक्ष 14 दिनों का। नवरात्र में पंचमी तिथि का क्षय है।
इस बार नवरात्र में कई अतिशुभ योग बन रहे हैं। इसमें रबि योग, यामीजय योग, सर्वार्थ सिद्धियोग, सिद्धि योग, रवियोग, सर्वार्थ सिद्धि, स्थायीजयी योग रहेगा। महानवमी तिथि पर दिन में 9:42 बजे के बाद रवि पुष्य योग भी अपने आप में बेहद खास होने वाला है|
नवरात्र पर घट स्थापना सुबह से मध्धारण के बीच शुभ होता है। इसमें भी सुबह छह बजे से सुबह दस बजे तक का समय अतिशुभ रहेगा। हालांकि, घट स्थापन सुबह से दिन में 2:14 बजे के बाद कभी भी किया जा सकेगा। दिन में 2:14 बजे के बाद द्वितीया तिथि लग जाएगी।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:33 बजे लगेगी जो 30 मार्च को दिन में 2:14 बजे तक रहेगी। शास्त्र के अनुसार महानिशा पूजन सप्तमी युक्त अष्टमी में किया जाय है या मध्यरात्रि निशिधानापिनी अष्टमी में। पांच अप्रैल को महानिशा पूजन और अन्नपूर्ण परिक्रमा चार-पांच अप्रैल की मध्यरात्रि के बाद 1:21 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन पांच अप्रैल को रात 12:05 बजे तक किया जा सकेगा। महाष्टमी व्रत पांच अप्रैल को और महानवमी व रामनवमी का व्रत 6 अप्रैल को किया जाएगा।