श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को के रजिस्टर में शामिल
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान मिली है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को...


भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान मिली है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को...
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान मिली है। यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को शामिल किया गया है। इस रजिस्टर में अब तक भारत की कुल 14 कृतियां शामिल हो चुकी हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने इसे भारत की शाश्वत ज्ञान परंपरा और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर खुशी जताते हुए कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत के युद्ध के आरंभ में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो भारतीय दर्शन और कर्म के सिद्धांत को प्रस्तुत करते हैं। यह ग्रंथ दुनियाभर की भाषाओं में अनुवादित किया गया है।
नाट्यशास्त्र की रचना महान आचार्य भरत मुनि ने की थी। यह ग्रंथ नाटकों, संगीत, अभिनय और कला के शास्त्रीय ज्ञान का संकलन है। नाट्यशास्त्र में रस सिद्धांत का विशेष महत्व है और इसमें जीवन की विविधता का बखूबी चित्रण किया गया है।
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर 1992 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विश्व के महत्वपूर्ण दस्तावेजी धरोहरों को पहचान देना और उनका संरक्षण करना है। इसमें पांडुलिपियां, दुर्लभ पुस्तकें, चित्र, फिल्में और ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसी सामग्री शामिल होती है।
भारत की इन दोनों महान कृतियों को इस रजिस्टर में शामिल किए जाने पर भारतवासियों में खुशी का माहौल है, खासकर विश्व धरोहर दिवस 18 अप्रैल को इस सम्मान का मिलना और भी खास बनाता है।