कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक ने जीता बुकर प्राइज
भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक ने अपने लघुकथा संग्रह ‘हार्ट लैंप’ के लिए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पहली बार है...


भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक ने अपने लघुकथा संग्रह ‘हार्ट लैंप’ के लिए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पहली बार है...
भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक ने अपने लघुकथा संग्रह ‘हार्ट लैंप’ के लिए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पहली बार है जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी पुस्तक को यह वैश्विक सम्मान प्राप्त हुआ है। इस सम्मान के साथ ही बानू मुश्ताक भारतीय साहित्य की उन चुनिंदा हस्तियों में शामिल हो गई हैं जिन्होंने भारतीय भाषाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
‘हार्ट लैंप’ में 1990 से 2023 के बीच लिखी गई 12 लघु कथाएं शामिल हैं, जो दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं और लड़कियों के रोज़मर्रा के जीवन की जटिलताओं, संघर्षों और संवेदनाओं को उकेरती हैं। इस संग्रह का अंग्रेज़ी अनुवाद दीपा भास्ती ने किया है, जिन्हें बानू मुश्ताक के साथ पुरस्कार से नवाज़ा गया है।
बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक सम्मानों में से एक है, जो हर साल किसी एक किताब के अंग्रेज़ी अनुवाद और उसके लेखक व अनुवादक को दिया जाता है। इस पुरस्कार का मकसद है दुनिया भर की बेहतरीन साहित्यिक कृतियों को सामने लाना और उनका सम्मान करना है।