प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि दिवेदी के अनुसार :महापर्व शारदीय नवरात्र दस दिनी होगा
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि दिवेदी के अनुसार इस बार आदिशक्ति की आराधना-साधना का महापर्व शारदीय नवरात्र दस दिनी होगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22...


प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि दिवेदी के अनुसार इस बार आदिशक्ति की आराधना-साधना का महापर्व शारदीय नवरात्र दस दिनी होगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22...
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि दिवेदी के अनुसार इस बार आदिशक्ति की आराधना-साधना का महापर्व शारदीय नवरात्र दस दिनी होगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22 सितंबर से नवरात्राआरम्भ होगा और एक अक्टूबर को नवमी तक चलेगा। अबकी आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि की वृद्धि है तो महाअष्टमी व महानवमी व्रत 30 सितंबर को होगा। नवमी एक अक्टूबर को दोपहर 2.37 बजे तक है। इसमें 2.37 बजे से पूर्व नवमी का होमादि, नारियल बलि व देवी पूजन करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है-'महानवमी तू बलिदान व्यरिक्त विषये पूजोपोषणा दापष्टमी विद्वाग्राह्या महानवमी' अर्थात पूजा तथा उपवास में अष्टमी विद्ध नवमी ग्राह्य है। नवमी युक्त दशमी बलिदान हेतु प्रशस्त है।
महानिशा पूजन 29-30 की रात सप्तमी युक्त अष्टमी में किया जाएगा। संधि पूजन 30 की मध्य रात्रि के बाद अष्टमी युक्त नवमी में होगा। एक अक्टूबर को महानवमी का व्रत होगा। उसी दिन कन्या पूजन, अपराजिता, शमी पूजन तथा हवन के साथ अनुष्ठानों की पूर्णाहुति होगी।
महाअष्टमी व्रत का पारन एक अक्टूबर को दिन में 2.37 बजे के पूर्व कर लेना चाहिए। संपूर्ण नवरात्र व्रत का पारन दो अक्टूबर को हवन इत्यादि करने के बाद करना चाहिए।
कलश स्थापन:
पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात 1:23 बजे लगेगी और 22 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात के तीसरे प्रहर 2.55 बजे तक रहेगी। ऐसे में आश्विन
शुक्ल प्रतिपदा 22 सितंबर को होगी औ इसी दिन प्रातः छह बजे से 1.30 बजे तक कभी भी कलश स्थापन किया जा सकेगा। इसमें प्रातः छह से आठ बजे और फिर 8.30 से 10.30 बजे तक अतिशुभ मुहूर्त है। अभिजीत मुहूर्त 11.37 से 12.23 बजे तक है।
हाथी पर आगमन
इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा। इसका फल सुवृष्टि व माता का गमन मानव कंधा पर हो रहा जिसका फल अत्यंत लाभकारी व सुखदायक है। अतः इस बार आगमन-गमन दोनों अतिशुभकारी होगा। आश्विन शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि की वृद्धि से यह पक्ष 16 दिनों का है जिससे यह पक्ष सुख-शांति देने वाला होगा।