आप सांसद का सदन के मार्शल के साथ धक्का मुक्की लोकतान्त्रिक मूल्यों के पतन का इशारा है

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आप सांसद का सदन के मार्शल के साथ धक्का मुक्की लोकतान्त्रिक मूल्यों के पतन का इशारा है
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अब राजनीति में बढ़त के लिए राजनेता किसी भी तरह के हथकंडे अपनाने को तैयार है - अब वो समय नहीं रहा जब राजनेता अपनी जवानी लोगो के सेवा में लगाते थे और जब बाल पकने की ओर होता तो शायद सत्ता का सुख मिलता और कई बार तो नहीं भी मिलता था - अटल बिहारी जैसे नेताओ ने तो अपना ज्यादा समय विपक्ष के रूप में ही बिता दिया - पर आज की पीढ़ी मैगी के दो मिनट नूडल से प्रभावित पीढ़ी है - हमें जनता ने सेवा करने के लिए दिल्ली दी है पर अब हम कई और राज्यों में फतह हासिल करना चाहते है - ऐसी हसरत बुरी बात नहीं है पर जब आप अपने पहले इम्तहान में अच्छे नंबर से पास हो जाए तो आगे की सोचे -

दिल्ली की सत्ता में आई ये पार्टी एक समय जनता की उम्मीद थी और लगा की केजरीवाल और उनके समर्थक एक अच्छी और सच्ची सरकार देंगे - पर दुर्भाग्य देश का की वो भी बाकी सभी पार्टी के गुणों से पूरी तरह युक्त हो गयी - जो व्यक्ति सत्ता में अलग होने के कारण आया वो सत्ता मिलने के बाद उन्ही राजनैतिक पार्टियों का एक नया वर्सन हो गया जिसमे अभी पालिस चमक रही है - पर रोज पड़ रही धूल से ये चमक कितने दिन बचेगी ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा -

पर अपनी पार्टी के आधार को पंजाब और हरियाणा में मजबूत करने के चक्कर में आप के सांसद ये भूल गए की विपक्ष का काम बहस को आगे बढ़ाना है और तर्कसंगत बाते रखनी है जिससे जनता को इस बिल का सही गलत शीशे की तरह दिखायी देने लगे - अब जब आप के तेवर आम आदमी जिसके नाम पर आपकी पार्टी है वो देखेगा तो यही कहेगा कि जो सांसद मार्शल को धक्का दे सकता है वो आम आदमी को कितना बड़ा धक्का देगा -

आप अपने आप को दिल्ली में साबित कर देंगे तो जनता ऐसे ही आपको सत्ता सौप देगी पर इस तरह के व्यवहार से तो शायद आपकी सत्ता दिल्ली से भी ख़त्म न हो जाए क्योंकि आधी को छोड़ पूरी को धावे और आधी मिले न पूरी पावे कही आपके लिए सच न हो जाए -

बेहतर यही है कि एक पार्टी जो आम आदमी के कल्याण के लिए बनी थी वो अपने गठन के सन्देश से दूर न जाए और अच्छा काम दिखाई देता है उसे बताने की जरुरत नही होती - यदि आम आदमी पार्टी अच्छा करेगी तो जनता उसका जवाब अच्छे से देगी पर इस तरह की हरकत से नुकसान ही होता है बेहतरी नहीं -

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