लोकसभा स्पीकर द्वारा अनिश्चितकाल तक सदन स्थगित करने पर बोले अधीर रंजन चौधरी- विपक्ष की आवाज दबा रही सरकार, कई मुद्दों पर नहीं होने दी चर्चा
संसद मानसून का पूरा सत्र लगभग हंगामे में ही बीत चुका है। मात्र 2 दिन मानसून सत्र के खत्म होने के बचे हैं। उच्च सदन की ऐसी हालत देखते हुए लोकसभा...


संसद मानसून का पूरा सत्र लगभग हंगामे में ही बीत चुका है। मात्र 2 दिन मानसून सत्र के खत्म होने के बचे हैं। उच्च सदन की ऐसी हालत देखते हुए लोकसभा...
संसद मानसून का पूरा सत्र लगभग हंगामे में ही बीत चुका है। मात्र 2 दिन मानसून सत्र के खत्म होने के बचे हैं। उच्च सदन की ऐसी हालत देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने 13 अगस्त से 2 दिन पहले ही सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया है। जिसके बाद अब लगातार विपक्ष केंद्र सरकार एवं लोकसभा अध्यक्ष पर हमले कर रहा है।
आपको बता दें कि उच्च सदन के अध्यक्ष वेंकैया नायडू एवं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी सदन में हो रहे हंगामे को लेकर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ये भी माना कि सदन की कार्यवाही अपेक्षा के हिसाब से कम चली।
संसद के मानसून सत्र को स्थगित करने को लेकर के लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सदन को 13 तारीख तक चलना था, लेकिन सरकार ने इसे अचानक स्थगित करने का निर्णय ले लिया। जिस वजह से कई मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई। ये केवल विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि आज मैंने पहली बार पीएम को संसद में देखा। जब सब कुछ खत्म हो जाता है, तो वो दिखाई देते हैं। ओबीसी विधेयक को बिना चर्चा के मिनटों में पारित कर दिया गया। सरकार चाहती है कि विपक्ष चुप रहे।
इतना ही नहीं अधीर रंजन के अनुसार कांग्रेस लगातार कोशिश कर रही थी कि सदन में पेगासस के मुद्दे पर चर्चा हो, लेकिन ये मुद्दा उठने ही नहीं दिया गया। ये एक वैश्विक मुद्दा है, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी तक इस पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि हम ईंधन की कीमतों में वृद्धि, कृषि मुद्दों, मुद्रास्फीति, टीकाकरण की स्थिति पर भी व्यापक चर्चा चाहते थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 7-8 मिनट के भीतर विधेयक पारित कर दिए गए और हमारी अपीलें अनसुनी रह गईं।
जिसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि मैं इस बात से आहत हूं कि सदन की कार्यवाही अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि सदन में ज्यादा से ज्यादा कामकाज हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो, लेकिन इस बार लगातार रुकावट आ रही थी। इसका समाधान नहीं हो सका। जहां तक सदन में कामकाज का संबंध है, वो पिछले दो वर्ष में अधिक प्रोडक्टिव रहे। उन्होंने बताया कि इस बार सदन केवल 74 घंटे 46 मिनट तक चला।
नेहा शाह