रायसीना डायलॉग के लिए दिल्ली पहुंचीं इटली की PM मेलोनी:द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने लिया हिस्सा

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रायसीना डायलॉग के लिए दिल्ली पहुंचीं इटली की PM मेलोनी:द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने लिया हिस्सा


रायसीना डायलॉग का 8वां संस्करण आज से दिल्ली में शुरू होगा। इसकी चीफ गेस्ट इटली की प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी दिल्ली पहुंच गई हैं। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की। PM मोदी ने भारत और इटली के बीच स्टार्ट-अप ब्रिज की घोषणा की।

उन्होंने कहा- हम दोनों देशों के बीच स्टार्ट-अप ब्रिज की घोषणा करते हैं।उन्होंने कहा- हमारे डिपलोमैटिक रिलेशन्स 75 साल से हैं, लेकिन हमारे बीच अब तक डिफेंस रिलेशन्य नहीं थे। आज हम इसकी भी शुरूआत कर रहे हैं। इसके अलावा दोनों देश रिन्यूएबल एनर्जी, हाईड्रोजन, IT, टेलीकॉम, सेमीकंडक्टर्स और स्पेस से जुड़े मुद्दों पर साथ मिलकर काम करेंगे।

रायसीना डायलॉग अपने नाम को लेकर भी चर्चा में रहता है। कई लोगों को नहीं पता कि आखिर इसका नाम रायसीना डायलॉग क्यों पड़ा। दरअसल, ये मीटिंग विदेश मंत्रालयों की होती है। भारत के विदेश मंत्रालय का हेडक्वार्टर रायसीना पहाड़ी (साउथ ब्लॉक) में स्थित है। इसी वजह से इसका नाम रायसीना डायलॉग रखा गया है। ये सम्मेलन सिंगापुर शांगरी-ला डायलॉग की तरह ही है। अब ये विश्व स्तर पर एक प्रमुख विदेशी मामलों का सम्मेलन बन गया है।

दुनियाभर के नीति निर्माता अपने विचारों को इस सम्मेलन में रखते हैं।रायसीना डायलॉग की चीफ गेस्ट हैं PM मेलोनी इटली की प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी रायसीना डायलॉग की चीफ गेस्ट हैं। ये बैठक 3 दिन (2-4 मार्च) चलेगी। इस कॉन्फ्रेंस में 100 देश के रिप्रेजेंटेटिव शामिल होंगे। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 6:30 बजे करेंगे। ये बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस लिहाज से इसे काफी अहम माना जा रहा है।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, 'वर्तमान में कोई भी समूह अपने निर्णयों से सर्वाधिक प्रभावित लोगों की बात सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता। यह बैठक गहरे वैश्विक विभाजन के समय में हो रही है। विदेश मंत्रियों के रूप में ये स्वाभाविक है कि आपकी चर्चा भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित होगी।' पीएम बोले- 'दुनिया विकास, आर्थिक लचीलापन, आपदा लचीलापन, वित्तीय स्थिरता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विकास की चुनौतियां को कम करने के लिए G20 की ओर देख रही है। इन सभी में G20 में आम सहमति बनाने और ठोस परिणाम देने की क्षमता है।'

(प्रियांशु )

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