अवधी सहित्य संस्थान की बैठक हुई सम्पन्न
रविवार को अवधी साहित्य संस्थान की एक आवश्यक बैठक उपाध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ल 'अमरेश 'जी के आवास शुकुलडीह में आयोजित हुई ।संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन...
रविवार को अवधी साहित्य संस्थान की एक आवश्यक बैठक उपाध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ल 'अमरेश 'जी के आवास शुकुलडीह में आयोजित हुई ।संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन...
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रविवार को अवधी साहित्य संस्थान की एक आवश्यक बैठक उपाध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ल 'अमरेश 'जी के आवास शुकुलडीह में आयोजित हुई ।संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की ।महासचिव डॉ धनञ्जय सिंह , राम बदन शुक्ल 'पथिक ',सुरेश शुक्ल नवीन,सचिव अनिरुद्ध मिश्र, अभिजीत त्रिपाठी, श्री नाथ शुक्ल, सर्वेश नारायण मिश्र, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, पं सुरेश चन्द्र मिश्र, अभय शुक्ल, डॉ अर्चना ओजस्वी, जनार्दन प्रसाद शुक्ल आदि उपस्थित रहे ।उक्त बैठक में सदस्यों की सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष एक पत्रिका का प्रकाशन किया जायेगा जिससे अवधी भाषा का प्रचार प्रसार होगा ।प्रत्येक वर्ष अवधी साहित्य संस्थान के तत्वावधान में एक भब्य कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित किया जायेगा ।इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को गोष्ठी का आयोजन होगा ।
बैठक के उपरांत एक काव्य गोष्ठी भी हुई जिसमें अनिरुद्ध मिश्र, अभिजीत त्रिपाठी, सुरेश नवीन, राम बदन पथिक ,डॉ अर्चना ओजस्वी एवं अमरेश जी ने काव्य पाठ किया ।अमरेश जी ने पढ़ा कि 'बुद्धि कै आज कपाट उघारि के ज्ञान के ज्योति जरावा हे माई ,अनिरुद्ध मिश्र ने पढ़ा कि 'कभी जब भारती की अस्मिता खतरे में होती है, कलम को ही बना तलवार रिपु संहार करते हैं ।अभिजीत त्रिपाठी ने पढ़ा कि आंचल फटा ही सही सिर पर जरूर होता है ।डॉ अर्चना ओजस्वी ने पढ़ा कि 'मैं बेटी भारत माँ की हूँ मुझको समझो बेकार नहीं ।राम बदन पथिक ने पढ़ा कि 'हम बुलाते रहें आप आते रहें, हम खिलाते रहें, आप खाते रहें ।