मोदी के नेतृत्व की सरकार में जिस गति से अंतरिक्ष तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है : हरदीप पुरी
नई दिल्ली , 15 दिसंबर (आरएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व...


नई दिल्ली , 15 दिसंबर (आरएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व...
नई दिल्ली , 15 दिसंबर (आरएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सरकार में जिस गति से अंतरिक्ष तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है, उसी गति से जनकल्याण एवं विकास की परियोजनाओं में अंतरिक्ष तकनीक का प्रयोग हो रहा है। वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मनरेगा में जीआईएस लागू करना, एकीकृत जल शेड प्रबंधन परियोजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भारत की अंतरिक्ष तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।
दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी गरीबों, दलितों, महिलाओं, युवाओं और किसान को लाभान्वित करने के लिए अंतरिक्ष तकनीक का इस्तेमाल कर रहें हैं। कांग्रेस सहित घमंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में दायित्व संभाला था, तब विपक्ष के नेता सवाल पूछते थे कि आपका विजन क्या है? प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के परिणाम ने उनके सवाल का जवाब दे दिया। 1947 से 2014 तक देश में जितने जनकल्याण एवं विकास कार्य हुए हैं, उससे बहुत ज्यादा जनकल्याण एवं विकास कार्य पिछले नौ वर्षों में हुए हैं। परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में दसवें पायदान से ऊपर उठाकर पांचवें पायदान पर पहुंच गयी है।
इस वित्तीय वर्ष की पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आर्थिक परिदृश्य में यह बदलाव हुआ है कि कि विश्व के बहुपक्षीय बैंक और एजेंसियां आज देश के विकास में रुचि दिखा रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष तकनीक के विकास की चर्चा करते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ने चंद्रयान 3 मिशन पर मात्र ₹600 करोड़ खर्च किया, जबकि रूस की असफल रहे चंद्रमा मिशन ₹16 हजार करोड़ खर्च हुआ था। भारत ने 290 मिलियन यूरो की लागत से 430 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिसमें अमेरिका के उपग्रह भेजकर भारत ने 170 मिलियन यूरो की कमाई की।
वर्ष 2004-14 की तुलना में 2014-23 की अवधि में औसतन दोगुने सैटलाइट को लांच किए गए हैं। “इसरो” के बेड़े में दो नए ‘प्रक्षेपण वाहन’ जोड़े गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप, देश में 4 प्रक्षेपण वाहन हैं। इसके अलावा प्रक्षेपण वाहन एलवीएम-3 जोड़ा गया है, जिसने आरम्भ से अब तक लगातार 7 सफल उड़ानें भरी हैं और लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान - एसएसएलवी भी जोड़ा गया है। केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अंतरिक्ष और महासागर की तकनीक में अनुसंधान और परीक्षण होने की वजह से देश में आर्थिक अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
वर्तमान में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 8 बिलियन डॉलर की है और यह लगभग 45,000 लोगों को रोजगार प्रदान करता है। आगामी 15 वर्षों में यह प्रक्षेत्र 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग लगभग 2% है और भारत इस हिस्सेदारी को 10% तक बढ़ाने की ओर अग्रसर है। जनकल्याण और विकास की योजनाओं में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोग करने का उदाहरण देते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कम समय में "प्रधानमंत्री आवास योजना" के तहत लाभार्थियों को आवास मुहैया करने के उद्देश्य से 53 पर्यावरण प्रौद्योगिकी की पहचान की।
इनमें से कुछ तकनीकों का उपयोग करके "लाइट हाउस प्रोजेक्ट" शुरू किया गया, जिसमें एक साल के अन्दर 1,000 आवासों का निर्माण होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उपग्रह और ड्रोन तस्वीरों के माध्यम से इस परियोजना की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि निर्धारित समय में “लाइट हाउस प्रोजेक्ट” पूरी की जाए। भारत सरकार इन क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।देश के विकास में कांग्रेस और घमंडिया गठबंधन शासित प्रदेशों को बाधक बताते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश के एक प्रदेश में जनकल्याण और विकास की परियोजनाएं कागजों पर चल रही थी और जनता की गाढ़ी कमाई की लूट हो रही थी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा निगरानी कार्यप्रणाली में तकनीक का इस्तेमाल होने की वजह से निर्माण भवन की शहरी वेधशाला में देशभर की हर छोटी से बड़ी विकास परियोजनाओं की वास्तविक समय अद्यतन प्रगति की रिपोर्ट देखी जा सकती है। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 हजार स्वयं सहायता समूह की एक-एक महिलाओं को ड्रोन उपयोग का प्रशिक्षण देकर “ड्रोन दीदी” बनाया है।
इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का प्रयोग होने किसानों को लाभंविंत होंगे। इसके आलावा, अमृत मास्टरप्लान, 238 शहरों के लिए शहरी भू-स्थानिक डाटाबेस, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, अंतरिक्ष तकनीक इनपुट का प्रयोग कर चावल और गेहूं का अर्ध-भौतिक उत्पादन, मनरेगा में निगरानी के जीआईएस लागू करना, जियो पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन, एकीकृत जल शेड प्रबंधन परियोजना की निगरानी, 16.97 लाख जल शेड विकास और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी कई योजनाएं शामिल हैं।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की मजबूत उपस्थिति का जिक्र करते हुए श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 2014 से पहले अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में मात्र 1 स्टार्टअप था और आज इस क्षेत्र में 195 स्टार्टअप कार्यरत हैं। खासबात यह है कि इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के लिए रास्ते खोले गए हैं। युवा इस क्षेत्र में अपने स्टार्टअप शुरू कर दिए हैं। भारतीय उपग्रह निर्माण का बाजार अगले वर्ष तक 3.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
भारत आज अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में संपूर्ण क्षमताओं वाली अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वाले देशों में 5वां स्थान पर पहुंच गया है। आज देश में 400 से ज्यादा निजी अंतरिक्ष कंपनियां कार्यरत है। हरदीप सिंह पूरी ने कहा कि हर क्षेत्र में विकास के लिए सिर्फ बजट की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक ईकोसिस्टम की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं की वजह से विज्ञान एवं तकनीक से जुड़े सभी संस्थानों में खोज, अनुसन्धान और इनोवेशन के लिए सकारात्मक वातावरण बना है, जिसका बेहतर परिणाम आने शुरू हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 के सफल होने से पहले दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी, चंद्रयान 2 असफल हुआ था, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के तत्कालीन प्रमुख को गले लगाकर उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर हिम्मत बढ़ाई और उन्हें अगले मिशन के लिए प्रोत्साहित किया था। आज अंतरिक्ष के साथ देश के हर क्षेत्र में विकास की संभावनाएं खुली हुई हैं और अंतरिक्ष के मामले में चंद्रयान 3 तो मात्र एक शुरुआत है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है, जिसके तहत गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में अधिक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी और 2040 तक चंद्रमा तक मानव के पहुंचने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा।