गाली कब बन गई खुशहाली शब्दों को खबर नहीं, अंकल आंटी के प्रहार से कर रही हिंदी शब्दकोश चित्कार

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विषय - शब्दों की व्यथा

काल भैरव मंदिर के योगी योगेश्वर द्वारा आयोजित हुआ, गोष्ठी में "शब्दों की व्यथा" पर गोष्ठी का आयोजन किया गया इस गोष्ठी में योगी योगेश्वर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदी के जड़मूल के द्वारा जनता को भ्रमित करने के लिए सनातन धर्म व हिंदी शब्दकोश की मर्यादा को तार-तार किया जा रहा है, जो कभी गंदी गाली थे आज वे हमारी बोली बन गए हैं। और हम सब को खबर तक नहीं, मौसी और बुआ दोनों को आंटी कहना जैसे यह शब्द समाज एवं हिंदी शब्द के लिए घातक है, किसी भी समाज या राष्ट्र को नष्ट करना हो तो उसकी शिक्षा पद्धति को नष्ट कर दें, वह राष्ट्र स्वयं ही कमजोर हो जाएगा। यह हमारे नेता, अभिनेता, सोशल मीडिया आदि के द्वारा नष्ट हो रही है।

हिंदी शब्दों की झंकार हिंदी के अर्थ का अनर्थ बताकर सनातन धर्म, समाज व राष्ट्र को कमजोर करने की साजिश चल रही है। दोहों के द्वारा जैसे ढोल गवार, शुद्र पशु नारी, की गलत व्याख्या के कुछ मुहावरों के द्वारा सनातन समाज पर जबरदस्त हमला हो रहा है। अतः यदि हमने इनका विरोध नहीं किया तो याद रखें जब-जब हिंदी कमजोर होगा , तब तब हिंदुस्तान भी कमजोर होगा।

इस अवसर पर वर्ल्ड भोजपुरी आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष डॉ अपूर्व नारायण तिवारी उर्फ बनारसी बाबू ने कहा कि समाज सेतु के समान होते हैं और यदि सेतु कमजोर हुआ तो संदेश कमजोर होगा वर्तमान में शब्दों की व्यथा प्रभावित शब्दों से भी नाखुश है। शब्द जैसे मंदाकिनी बन गई मैदागिन, मांडव ऋषि के नाम पर मानव बनना था बन गया मडवाडीह और साथ ही साथ दो अर्थीय व तोड़ मरोड़ कर भी शब्दों की हत्या हो रही है।

इस अवसर पर योग निरोग केंद्र के नगर प्रमुख किशन विश्वकर्मा ने कहा कि "हिंदी भारत की आत्मा है, और आत्मा पर आघात स्वीकर नहीं है"।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पी0 एन0 योगेश्वर जी, सी0आई0टी0 ने की।

इस अवसर पर बनारसी गुप्ता, साधक चंदन विश्वकर्मा, विकास बिंद, राजीव योगेश्वर, अजय पाठक, एम0पी0 सिंह सहित राधा देवी व जानवी योगेश्वर सहित एवं अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि डॉ0 दिनेश सिंह, श्री अमलेन्दु पटेल, श्री आदित्य मिश्र रहे। धन्यवाद ज्ञापन अजय सेठ जी ने किया।

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