दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि

धन, संपत्ति अर्थात पैसा वर्तमान में मनुष्य की सबसे बड़ी जरुरत है। पैसे से ही मनुष्य के जीवन की तमाम भौतिक जरुरतें पूरी होती हैं। धन, संपत्ती, समृद्धि का एक नाम लक्ष्मी भी है। लक्ष्मी जो कि भगवान विष्णु की पत्नी हैं। मान्यता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही घर में धन, संपत्ती समृद्धि आती है। जिस घर में मां लक्ष्मी का वास नहीं होता वहां दरिद्रता घर कर लेती है। इसलिये मां लक्ष्मी का प्रसन्न होना बहुत जरुरी माना जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिये की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा। आइये आपको बताते हैं कि क्या है लक्ष्मी पूजन की विधि और पूजा के के लिये चाहिये कौनसी सामग्री?

कौन हैं लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी को धन और सम्रद्धि की देवी कहा जाता है। सनातन धर्म के विष्णु पुराण में बताया गया है कि लक्ष्मी जी भृगु और ख्वाती की पुत्री हैं और स्वर्ग में यह वास करती थी। समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी जी की महिमा का व्याख्यान वेदों में बताया गया है। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को अपने पति के रुप में वरण किया जिससे इनकी शक्तियां और प्रबल हुई मानी जाती हैं।

लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं। वह कमल के आसन पर विराजमान है। लक्ष्मी जी के पूजन में कमल का विशेष महत्त्व बताया गया है। क्योकि यह फूल कोमलता का प्रतीक है इसलिए माँ लक्ष्मी जी की पूजा में इसका स्थान आता है। लक्ष्मी जी के चार हाथ बताये गये हैं। वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं और माँ लक्ष्मी जी सभी हाथों से अपने भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। इनका वाहन उल्लू को बताया गया है जो निर्भीकता का सूचक है।

माँ लक्ष्मी जी की मुख्य पूजा तो वैसे दिवाली पर की जाती है किन्तु लक्ष्मी पूजा निरंतर करना, और भी ज्यादा फलदायक माना जाता है।

लक्ष्मी पूजन विधि

लक्ष्मी पूजन की तैयारी सायंकाल से शुरू करें।

एक चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी की दाईं दिशा में श्रीगणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।

उनके सामने बैठकर चावलों पर कलश की स्थापना करें।

इस कलश पर एक नारियल लाल वस्त्र में लपेट कर इस प्रकार रखें कि उसका केवल अग्रभाग ही दिखाई दे।

दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें. एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाईं तरफ रखें।

इसके अलावा एक छोटा दीपक गणेशजी के पास भी रखें।

फिर शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूप, बत्ती, गुड़, फूल, धानी, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें. फिर सभी दीपकों (न्यूनतम 26 दियों को जलाना शुभ माना जाता है)को जलाकर उन्हें नमस्कार करें. उन पर चावल छोड़ दें. पहले पुरुष और बाद में स्त्रियां गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और आरती उतारें।

पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें. इसके बाद निम्न मंत्र से लक्ष्मीजी का पूजन करें-

मस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया।

या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Lakshmi Puja 2021 Date)

शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट ( 4 नवंबर, 2021, गुरुवार)

अवधि: 1 घंटे 55 मिनट

प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक

वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक

दिवाली पूजा की सामग्री (Diwali Pujan Samagri List)-

रोली, चावल, पान ,कुमकुम, धूप या अगरबत्ती, इलाइची, लोंग, सुपारी, कपूर, कलश, माला, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, कलावा, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ ,गेहूं, चन्दन, सिन्दूर, घी, पंचामृत, शंख, चांदी का सिक्का, दूध, सूखा मेवे, यज्ञोपवीत (जनेऊ), सफेद नए कपड़े, चोकी, खील ,बताशे, मिठाई, थाली, आसन, लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा।

माता लक्ष्मी जी की आरती

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥


Tags:    Diwalilaxmi puja
Next Story
Share it