प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार संकष्ठी श्री गणेश चतुर्थी (बहुला) तीन सितम्बर को.....

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प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार संकष्ठी श्री गणेश चतुर्थी (बहुला) तीन सितम्बर को.....
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प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी व्रत तीन सितम्बर को है। चतुर्थी तिथि दो/ तीन सितम्बर की रात्रि 12:57 मिनट पर लगेगी जो कि तीन सितम्बर की रात्रि 11:09 मिनट तक रहेगी। चंद्रोदय तीन सितम्बर की रात्रि 08:37 मिनट पर होगा। इस बार संकष्टी गणेश चतुर्थी रविवार को पड़ रहा है जो अपने आप में बेहद खास होगी। ज्योतिषशास्त्र में भाद्र कृष्ण चतुर्थी को रविवार पड़ने से उसे रविवति' संकष्ठी श्रीगणेश चतुर्थी कहा जाता है।

सनातन धर्म में भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी अर्थात संकष्ठी श्री गणेश चतुर्थी (बहुला) अपना एक विशेष स्थान है। शास्त्र के अनुसार इस व्रत को उसी चतुर्थी में करना चाहिए जो कि चंद्रमा के उदय में व्याप्त हो। क्योंकि संकष्ठी चतुर्थी की व्रत कथा में भाद्र कृष्ण चौथ को चंद्रमा का उदय होने पर विघ्न विनाशक प्रथम पूज्य गणेश जी के साथ चंद्रमा के पूजन और अर्घ्य देने का विधान है।


इस दिन प्रातः व्रतियों को नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नानकर सर्वप्रथम हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर संकल्प करना चाहिए। संकल्प में अपने नाम सहित मास, तिथि, वार और पक्ष का उच्चारण कर पुत्र, पौत्र, धन,ऐश्वर्य तथा समस्त कष्टों से निवृत्ति के लिए मैं संकष्ठी गणेश चतुर्थी का व्रत करूंगा/करूंगी।' रात्रि काल में चंद्रोदय के समय गणेश जी पंचोपचार या षोडशोपचार रात 08 बजकर 37 मिनट पर विधिवत पूजन के साथ ही चंद्रमा का पूजन, अर्घ्य दें।

भगवान गणेश को नैवेद्य में लड्डू, दुर्वा, काला तिल, गुड़, ऋतु फल इत्यादि समर्पित करें। चंद्रदेव का सविधि पूजन करें। चंद्रदेव को क्षीर सागर मंत्रों के द्वारा अर्घ्य दान करें। क्षीर सागर मंत्र का अर्थ यह है कि 'श्रीर समुद्र पर उत्पन्न है। सुधा रूप है। निशाकर आप रोहिणी सहित मेरे दिये हुए भगवान गणेश के प्रेम को बढ़ाने वाले अर्ध्य को ग्रहण करें। रोहिणी सहित चंद्रमा के लिए नमस्कार है। ऐसा करने से व्रतियों के सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पुत्र-पौत्रादिक दीर्घायु के साथ ही पुत्रादि सुख भी प्राप्त होता है।

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