7 दिसंबर को है काल भैरव अष्टमी, जाने काल भैरव पूजा का सटीक मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि......
7 दिसंबर यानी की आज काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना...
7 दिसंबर यानी की आज काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना...
7 दिसंबर यानी की आज काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसके जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को अनेकों रोगों से मुक्ति मिलती है और मन शांत रहता है। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाअष्ट्मी के दिन से ही सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर उनकी प्रतिमा के आगे तेल का दीपक जलाना चाहिए। मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि काल भैरव जी उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध के कारण हुए थी। एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने को लेकर बहस हुई। तब इस बहस के बीच ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा की, इससे भोले शिव शंकर क्रोधित हो गए। उनके रौद्र रूप के कारण ही काल भैरव जी की उत्पत्ति हुई। काल भैरव ने वहीं सिर काट दिया था। जैसे ही ब्रह्मा जी का सिर उनके हाथ से छूट जाएगा वैसे ही वो ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाएंगे। त्रिलोक भ्रमण करते समय जब वो काशी पहुंचे तब उनके हाथ से ब्रह्मा जी का सिर छूट गया। इसके बाद काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए और शहर के कोतवाल कहलाए।
शिवांग