हिरण्यकश्यप वध का हुआ मंचन

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हिरण्यकश्यप वध का हुआ मंचन

नगर में चल रही रामलीला में 12वे दिन मेला बाग में नाटक भक्त प्रहलाद दिखाया गया नाटक में हिरण्यकश्यप भगवान भोले नाथ की तपस्या कर के वरदान प्राप्त कर लेता है तब प्रहलाद को पढ़ाई के लिये गुरुकुल भेज देता है वहा से जब पढ़ाई करके वापिस आने पर हिरण्यकश्यप देखता है कि वह भगवान हरि का भक्त हो जाता हैं तरह तरह से उसको मारने की कोशिश करता है कहता है तुम्हारा पिता ही भगवान है तुम हरि विष्णु की पूजा मत करो मेरी करो अंत मे प्रहलाद ना मानने पर उसको मारने का आदेश देता है उसको पहले पहाड़ से गिरावत है उसको फिर जीवित देख कर फाँसी लगवाता है फिर भी कुछ न होने पर अपनी बहन होलिका को बुलवाकर उसकी गोद मे बैठाके जलवाने की कोशिश करता है उस आग में होलिका स्वयं जल जाती है प्रहलाद जीवित रहता है अंत मे हिरण्यकश्यप पूछता है कि कहा है तुम्हारे श्री हरि प्रहलाद कहता है श्री हरि कड़ कड़ में वास करते है महल में लगे खम्बे देख कर कहता है क्या इसमे भी तुम्हारे भगवान है प्रहलाद के हा कहने पर हिरण्यकश्यप खम्बा गिरा देता है तब श्री हरि विष्णु नरसिंह का रूप में हिरण्यकश्यप को अपनी जांघो पर लिटा कर आपने नाखून से उसका सीना चिर देते है अंत मे प्रहलाद भगवान की विनती करके पिता की मुक्ति के प्राथना करता है श्री हरि विष्णु उसको अपना आशीर्वाद देते है नाटक देखने के लिए बहुत अधिक संख्या में दर्शक मौजूद रहे।


प्रबंन्धक पुरूषोत्तम नारायण अग्रवाल व्यवस्थापक राजेश अग्रवाल,आशीष अग्रवाल,माधव अग्रवाल,पंकज सभासद,अनूप अग्रवाल, महेश अग्रवाल, विनय अग्रवाल, श्याम जी अग्रवाल, राम मिश्रा, उदय अग्रवाल, मनोज अग्रवाल,शिवनारायण अग्रवाल आदि कमेटी के लोग रावण के पुतले की तैयारी करने में लगे रहे।।

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