वैदिक संस्कृति भारतीय संस्कृति की मुख्यधारा है

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
वैदिक संस्कृति भारतीय संस्कृति की मुख्यधारा है

ब्रह्मा,विष्णु महेश सुने पढ़े जाते है, किंतु माता पिता गुरु के रूप में हम सभी को इसकी प्रत्यक्ष उपलब्धि अपने जीवनकाल में होती है और होती रहेगी।ब्रह्मा जन्म देने वाले सृष्टि कर्ता है, तो जन्म देने वाली जननी या माता साकार है तो पिता धनोपार्जन और लाड़ प्यार से हमारा पालन करते है तो जीते जागते विष्णु है।महेश संहार कर्ता है तो गुरु या शिक्षक हमारे अज्ञान ,कषाय, दुर्गुणों का संहार करने के कारण महेश है।इन तीनो में गुरु समाहित है।क्योंकि हर बालक की पहली गुरु माता,दूसरे गुरु पिता और तीसरे गुरु कलाचार्य शिक्षक तथा आध्यात्मिक गुरु संत है।

भारतीय संस्कृति त्रिकमयी है।जैसे सत्व रज तम तीन गुण।तीन लोक।तीन देव ब्रह्म विष्णु महेश।इसी तरह जैन परम्परा में देव ,गुरु धर्म।ज्ञान दर्शन चारित्र।उत्पाद ,व्यव ध्रौव्य।ब्रह्म विष्णु महेश त्रिदेव के बोधकर्ता गुरु ही है तो जैन परम्परा के देव गुरु धर्म मे रहने वाले गुरु ही तीर्थंकर देव का बोध कराते है।गुरु एक दर्पण है।जिस प्रकार मनुष्य अपना रंग रूप निहारने के लिए दर्पण में देखता है।दर्पण उसकी कुरूपता और सुंदरता का बोध कराता है।उसी प्रकार गुरु भी शिष्य को उसके अस्तित्व का बोध कराते है और उसे उसके भीतरी स्वरूप का दर्शन कराते है।शिष्य को कल्याण का रास्ता बताते है।संसार मे भटकते प्राणी को गुरु धर्म का,आध्यात्म का ,आत्मा की शक्तियों को जगाने का मार्ग बताने वाले होते है।गुरु शिष्य को ज्ञान देते है।वे शिक्षक है,अनुशासक है।संसार मे किस प्रकार जीना, कैसा व्यवहार करना जिससे स्वयं को भी कष्ट न हो और उसके कारण दुसरो को भी कष्ट नही पहुंचे।जीवन की यह उदात्त शैली गुरु सिखाते है।शिष्य के शारीरिक मानसिक एवं बौद्धिक विकास का प्रतिक्षण गुरुओं से मिलता है।गुरु शिष्य को संसार मे जीने की ऐसी ट्रेनिंग देते है कि वह आपत्ति विपत्तियों के तूफान में भी हंसता मुस्कराता जीता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला कर सकता है।

जीवन की उलझी समस्याओं को सुलझाना ,साधना के विघ्नों का निराकरण करना गुरु ही जानता है।गुरु की तीसरी भूमिका दाता की है।गुरु एक ओघड़दानी है।शिष्य को देता ही रहता है।इतना देता है कि उसका खजाना कभी खाली ही नही होता है।जैसे एक दिया अपनी ज्योति के स्पर्श से हजारो हजार दीयो को प्रकाशमान कर देता है।श्रमण संस्कृति का प्रतिनिधित्व जैन संस्कृति करती है तो हिन्दू संस्कृति का प्रतिनिधित्व वैदिक संस्कृति या ब्राह्मण संस्कृति करती है।

*कांतिलाल मांडोत*

Tags:    Viedic Cullture
Next Story
Share it