शाहीन बाग में आजादी की मांग, पर हमला प्रेस की आजादी पर
शाहीन बाग में बैठे हुए लोग आजदी की मांग कर रहे है पर अगर कोई पत्रकार उनके मन की रिपोर्ट नही करेगा तो वो उसपर हमला कर देंगे , ये है शाहीन बाग में धरने...
शाहीन बाग में बैठे हुए लोग आजदी की मांग कर रहे है पर अगर कोई पत्रकार उनके मन की रिपोर्ट नही करेगा तो वो उसपर हमला कर देंगे , ये है शाहीन बाग में धरने...
शाहीन बाग में बैठे हुए लोग आजदी की मांग कर रहे है पर अगर कोई पत्रकार उनके मन की रिपोर्ट नही करेगा तो वो उसपर हमला कर देंगे , ये है शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोगो की आजादी की परिभाषा |
वास्तव में इतने लोग बिना किस अन्दर और बाहर के सपोर्ट के तो धरने पर बैठ ही नहीं सकते और जब बात मुस्लिम समुदाय के माँ - बहनों की है तो ये देखना होगा की सदियों से जिनके साथ जुल्म और गैर बराबरी का जो खेल -खेल रहे थे वो आज इनको ढाल बनाकर अपना खेल फिर से खेल रहे है |
कई लोग है जो कह रहे है कि देखिये मुस्लिम महिलाओं में कितना परिवर्तन आ गया है कि वो रातो रात क्रन्तिकारी हो गयी है | इस तरह की क्रांति सिर्फ किताबो में हो सकती है असल जिंदगी में दो रोटी के लिए जूझते लोग इस तरह आन्दोलन नहीं कर सकते | ये आन्दोलन बिना समर्थन के नहीं चल सकता |
अब समर्थन किन लोगो का है इस पर चर्चा होनी चाहिए | पर ये लोग चर्चा करने को तैयार नहीं | दीपक चौरसिया पर हमला किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा है जो इन आम लोगो के कल्पना से भी बाहर है | कुछ लोग वास्तव में आन्दोलन के लिए बैठे है पर ज्यादातर लोग पैसे दे कर आये है |
मुस्लिम समाज के लोगो की समश्याओं का समाधान बांग्लादेश और म्यांमार के मुस्लिमो को भारत की नागरिकता दे कर हल नहीं होगा |