सोशल मीडिया से प्रत्यक्ष रोजगार कम , व्यक्ति आंकड़ों मे बदल गया है : प्रो मुकुल श्रीवास्तव
सोशल मीडिया से प्रत्यक्ष रोजगार कम , व्यक्ति आंकड़ों मे बदल गया है : प्रो मुकुल श्रीवास्तव
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मे इन्स्टिच्यूशन इनोवेसन काउन्सल द्वारा आयोजित व्याख्यान सीरीज मे अपनी बात छात्रों के सामने रखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रो मुकुल श्रीवास्तव ने कहा कि " फ्री मे इस्तेमाल की चाहत ने हमे आंकड़ों मे बदल दिया है | आज इन कंपनियों मे मुनाफा देखे तो अरबों डॉलर मे है पर अगर नौकरी की बात करे तो चंद लोग ही काम करते हुए मिलेंगे |
उन्होंने बताया कि इस तरह की कंपनी का आधार मुनाफा होता है और व्यक्ति उनके लिए आंकड़ों की तरह काम करता है | उन्होंने लोगों से कहा कि अगर आपको अपनी ताकत का एहसास कराना है तो इन कंपनियों मे मुनाफे की हिस्सेदारी माँगनी होगी | आपके निजता की कीमत पर ये पैसे कमाते है और आप को कुछ नहीं मिलता है -
उन्होंने इन कंपनियों के बढ़ते प्रभाव पर बात करते हुए बताया कि किस तरह ट्विटर के सीईओ को भारत सरकार बुलाती रही पर वो नहीं आए| भारत मे मंत्री बदल गए पर ट्विटर या फेस्बूक जैसी संस्था को कोई असर नहीं पड़ा |
उन्होंने बताया की किस तरह मानव इतिहास का सबसे बड़ा जुर्माना फेस्बूक जैसी कंपनी को गलत रास्ते अख्तियार करने के लिए लगा पर वो आज भी दुनिया की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी मे शुमार है |
व्याख्यान की शुरुआत मे इसके संयोजक प्रो गोविंद जी पांडे ने प्रो मुकुल श्रीवास्तवा का सोशल मीडिया स्टार्टअप्स की इस सीरीज के पहले व्याख्यान के लिए स्वागत किया- प्रो गोविंद जी पांडे ने बताया कि विश्वविद्यालय के इननोवेसन कौंसिल द्वारा इसी तरह का दूसरा व्याख्यान 20 फरवरी को सायं तीन बजे आयोजित किया है जिसमे आल इंडिया रेडियो की सीनियर प्रडूसर डॉ अनामिका श्रीवास्तव और अनुभवी रिपोर्टर सुशील तिवारी अपने विचारों को रखेंगे |
व्याख्यान के अंत मे प्रो। मुकुल श्रीवास्तव ने लोगों के सवालों का जवाब दिया| बड़ी संख्या मे लोगों ने सोशल मीडिया के विभिन्न पक्ष के बारे मे पूछा | बीबीएयू विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य विनित कुमार के प्रश्न का जवाब देते हुए प्रो मुकुल ने बताया कि किस तरह से अब कंटेन्ट को छुपाया जा रहा है और जिस प्रकार पहले शोध या अन्य कार्यों के लिए आसानी से सोशल मीडिया के कंटेन्ट मिल जाते थे अब नहीं मिलते |
इस व्याख्यान मे झांसी विश्वविद्यालय से डॉ कौशल त्रिपाठी , बीबीएयू से डॉ यूसुफ अख्तर समेत बिहार , और अन्य राज्यों से छात्र –छात्राएँ जुड़ी और सोशल मीडिया पर अपने विचार रखे |