एक किक और लकड़ी के दो टुकड़े , स्वाति शुक्ला ने ताइक्वांडो में ऑटो ड्राइवर पिता का सपना जिन्दा रखा है
कहते है गरीब के सपने पुरे नहीं होते पर इस कहानी को झुठला कर एक ऑटो ड्राइवर की बेटी अब इंटरनेशनल खेलने की ओर चल पड़ी है | एक योग्य प्रशिक्षक क्या कर...
Managing Editor | Updated on:19 July 2022 12:13 PM IST
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कहते है गरीब के सपने पुरे नहीं होते पर इस कहानी को झुठला कर एक ऑटो ड्राइवर की बेटी अब इंटरनेशनल खेलने की ओर चल पड़ी है | एक योग्य प्रशिक्षक क्या कर...
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कहते है गरीब के सपने पुरे नहीं होते पर इस कहानी को झुठला कर एक ऑटो ड्राइवर की बेटी अब इंटरनेशनल खेलने की ओर चल पड़ी है | एक योग्य प्रशिक्षक क्या कर सकता है उसका उदाहरण है स्वाति शुक्ला जैसे बच्चे जो उनके मार्गदर्शन में आज अपने एक किक से न सिर्फ लकड़ी के दो टुकड़े कर देती है बल्कि वो उन लोगो के भी दो टुकड़े कर देती है जो गरीबी और लाचारी में पड़े रहना अपनी जिंदगी मान लेते है |
स्वाति शुक्ला जैसे बच्चे इस समाज का नया चेहरा है जो अपने दम पर अपनी तक़दीर लिखने का हौसला रखते है | स्वाति ने अभी तक १८ से ज्यादा अवार्ड जीत रखे है | अपने गरीब पिता का सपना पूरा करने के लिए वो न सिर्फ ताइक्वांडो की प्रैक्टिस करती है बल्कि कानून की पढाई भी कर रही है | उनके कोच प्रशांत शर्मा को उम्मीद है कि स्वाति आने वाले समय में अच्छा प्रदर्शन करेगी |
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