उतराखण्ड में जमने लगी सियासी बिसात,भाजपा कांग्रेस करने लगी आरोप प्रत्यारोप

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उतराखण्ड में जमने लगी सियासी बिसात,भाजपा कांग्रेस करने लगी आरोप प्रत्यारोप
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पांच राज्यो में उतराखण्ड के भी चुनाव होने है।उसकी आहट से इस पहाड़ी राज्य के सर्द मौसम में भी गर्माहट आ चुकी है।यहा विकास के नाम पर भाजपा सत्ता में है।जनता को अपने पाले में लाने के लिए प्रचार शुरू किया गया है रोज नई नीति पर काम कर रहे है।परिवर्तन यात्रा और कांग्रेस की संकल्प यात्रा का पिछले चुनाव में सिलसिला चला था।चुनाव की सरगर्मी की रफ्तार पकड़ी है।पुष्करसिह धामी किए विकास कार्यो को गिना रहे है तो कांग्रेस कह रही है विकास नही हुआ है।पहले चुनाव के पूर्व मोदी ने सड़को की हालात सुधारने के लिए ऑल वेदर रोड की परियोजना का शिलान्यास किया गया था।जिसमें इस योजना में 17 हजार सात सौ करोड़ की रकम आवंटित की गई।उसके बाद भी कांग्रेस की मानसिकता तुच्छ ही है।कांग्रेस में बिखराव और आपसी कलह है।कांग्रेस के मुख्यमंत्री हरीश रावत की हार के बाद राहुल ने फिर से उतराखण्ड की जवाबदारी सौंपी है।हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को दो बेलों की जोड़ी करार दिया जा चुका था।दोनों में काफी टकराव भी हुआ था ।कांग्रेस परिवारवाद में मानती है।जिसमे किसी भी परिवार के सदस्य को टिकट की मांग स्वीकार्य है।



2016 में कांग्रेस के दस विधायको ने पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस की संगठन की शक्ति क्षीण हो गई।तब से कांग्रेस हाशिये में चली गई।पहाड़ी राज्य में विकास हुआ है तो भाजपा किसी भी हालत में सत्ता में वापसी करेगी।भितरघात से भाजपा हो या कांग्रेस उतनीं झड़प से जनता के ह्दय तक नही पहुंच सकती है।संगठन में ही शक्ति है।भाजपा ने इस पहाड़ी क्षेत्र में वापसी के लिए बैचेन थी।2017 में 57 सीटे जीतकर सरकार बनाई।भाजपा ने विकास की लौ जलती रखी है ।चुनाव मैदान में उतरने के लिए कवायद शुरू कर दी है।पहाड़ी राज्य उतराखण्ड की कायापलट करने के लिए फिर से सरकार सत्ता में आने के लिए बैचेन है।जीत हार का निर्णय उतराखण्ड की जनता करेगी।कांग्रेस का खराब प्रदर्शन उसकी हार का मुख्य कारण रहा था।इस बार उमड़ घुमड़ कर केजरीवाल उतराखण्ड में बिजली पानी की लालच देकर पार्टी को जीत का सेहरा बांधने निकले है।लेकिन केजरीवाल की राह आसान नही है।क्योंकि उसकी दिल्ली की सत्ता से जनता वाकिब है।मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने देहरादून में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवान राम पहले भी थे आज भी है।पर भाजपा नेता यह सिद्ध करने निकले है कि 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद ही प्रकट हुए है।दिग्विजयसिंह को मालूम ही था कि कांग्रेस के शासन में राम का नाम लेना बहुत बड़ा पाप माना जाता था।अयोध्या के राम मन्दिर का निर्माण भाजपा ने ही करवाया है तो राम भी रामभक्तों के लिए 2014 में ही सही।राम को याद बिना किसी भय से कर तो सकते है।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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