अहिंसा कायरता नही सिखलाती, यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक
अहिंसा की दृष्टि विराट है।इसमें संकीर्णता जरा सी भी गुंजाइश नही है।यह तो गंगा की उस विमल विशाल धारा के सदृश व स्वतंत्र है।उसे बंधन प्रिय नही है।यदि...


अहिंसा की दृष्टि विराट है।इसमें संकीर्णता जरा सी भी गुंजाइश नही है।यह तो गंगा की उस विमल विशाल धारा के सदृश व स्वतंत्र है।उसे बंधन प्रिय नही है।यदि...
अहिंसा की दृष्टि विराट है।इसमें संकीर्णता जरा सी भी गुंजाइश नही है।यह तो गंगा की उस विमल विशाल धारा के सदृश व स्वतंत्र है।उसे बंधन प्रिय नही है।यदि अहिंसा को किसी प्रान्त,भाषा,पंथ या सम्प्रदाय की शुद्ध परिधि में बंद कर दिया गया तो उसकी वही स्थिति होगी।जो समुद्र के शुद्ध निर्मल जल को किसी गड्ढे में बंद कर देने पर होती है।यह तो विश्व का सर्वमान्य सिद्धान्त है।अहिंसा का सिद्धांत अनोखा सिद्धान्त है।इतने बड़े पैमाने पर विरोध कर इतनी बड़ी शक्ति के हाथों अंग्रेजो से स्वराज प्राप्त करने में उसका उपयोग और भी अनोखा था।अहिंसा का क्षेत्र काफी विस्तृत है।यह विश्व व्यापी है।यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक है।इसके द्वारा ही जन समाज की सारी व्यवस्थाये व प्रवृतिया वीरता सिखलाती है।
अहिंसा विरो का धर्म है।अहिंसा का स्वर है है मान्यव!तू अपनी स्वार्थ लिप्सा में डूबकर दुसरो के अधिकारों को नही छीनो।किसी देश या समाज के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मत करो।किसी भी समस्या को शांतिपूर्वक समझाने का प्रयास करो।और शांति के लिए तुम अपना बलिदान अवश्य दो।किन्तु अपनी स्वार्थ और वासनापूर्ति किसी के प्राणों को मत लूटो।इस पर भी यदि समस्या का समाधान नही हो पा रहा है और देश, जाति और धर्म की रक्षा करना अनिवार्य हो तो उस स्थिति में वीरता परक कदम उठा सकते है।अहिंसा के नाम पर घर मे मुह छुपाकर मत बैठो।जो लोग जैन समाज को अहिंसा के नाम पर कायर समझते है वे उन नियमो को पढ़े किसका भगवान महावीर ने अहिंसा का भावार्थ समझाया है।हम जैन समाज वाले अहिंसक जरूर है लेकिन कायर नही है।अहिंसा यह कभी नही कहती कि मानव अन्याओ को सहन करे।क्योकि जैसे अन्याय करना स्वयं में पाप है ,वैसे ही अन्याय को सहन करना भी एक महापाप है।वह अहिंसा क्या है?जिसमे अन्याय के प्रतिकार की शक्ति नही है ।देश की आजादी को सुरक्षित रखने की क्षमता नही है।वह अहिंसा अहिंसा नही है वह नाम मात्र की अहिंसा है।
भगवान महावीर ने क्रांति की अलख जगाई,गांव गांव घूमकर मानव समाज को अहिंसा और प्रेम का दिव्य सन्देश सुनाया।भगवान महावीर समसामयिक महात्मा बुद्ध भी एक युग पुरुष थे।बुद्ध बुराइयों के साथ लड़े और संघर्ष किया।