कोलकाता से पधारे राज पारीक ने प्रस्तुत किये आकर्षक भजन

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कोलकाता से पधारे राज पारीक ने प्रस्तुत किये आकर्षक भजन
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रुपईडीहा/बहराइच। बुधवार की रात 9 बजे से आधी रात तक कोलकाता से पधारे राज पारीक ने श्याम भक्तों को श्याम भक्तिगंगा में डुबोये रखा। मारवाड़ी भाषा मे वाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों के साथ उन्होंने- मन को माणकियो तनै सौप दियो,जाण कै दरद प्रभु मोल लियो, जैसे ही सुनाया श्याम भक्त खड़े हो कर थिरकने लगे। उन्होंने गाया सांवरे के दीवानों की महफ़िल यहां फिर सजाई गई है। अगला भजन उन्होंने गाया लीला वाला बाबा श्याम तेरा सच्चा दरबार है-तेरी जय जय कार बाबा तेरी जय जय कार है। उन्होंने समझाया कि राजस्थान के सीकर के श्याम कुंड से बाबा श्री श्याम का प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने कहा कि महाभारत का युद्ध देखने के लिए नीलवर्ण के अश्व पर चढ़कर तरकस में मात्र तीन बाण लेकर बाबा श्याम युद्ध स्थल पर पहुंचे थे। इसलिए मारवाड़ी भाषा मे नीलवर्ण को लीला कहा गया है।श्रोता तालियां बजा कर ध्यान मग्न होकर बाबा गुणानुवाद करते रहे। बाहर के कलाकारों द्वारा खाटू वाले श्री श्याम का आकर्षक दरबार लगाया गया था। श्याम बाबा की ज्योति अनवरत जलती रही।


श्रद्धालु पंक्तिबद्ध होकर बाबा श्री श्याम की पूजा अर्चना करते देखे गए। एक के बाद एक कर्ण प्रिय भजन राज पारीक ने प्रस्तुत किये। इस अवसर पर प्रतिष्ठित व्यापारी महेश मित्तल ने भजन सम्राट राज पारीक का माला पहना कर स्वागत किया। स्थानीय टंडन रईस मिल के मैदान में आकर्षक पांडाल सजाया गया था। नेपाल से भी श्रोता भजन सुनने आये थे।

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