सीएचसी मलिहाबाद में मानसिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित
शिविर का शुभारंभ अधीक्षक डॉक्टर सोमनाथ सिंह ने किया गया मनोचिकित्सक डॉ अभय सिंह ने 22 मानसिक दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए तथा 73 मनो रोगियों के उपचार...


शिविर का शुभारंभ अधीक्षक डॉक्टर सोमनाथ सिंह ने किया गया मनोचिकित्सक डॉ अभय सिंह ने 22 मानसिक दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए तथा 73 मनो रोगियों के उपचार...
शिविर का शुभारंभ अधीक्षक डॉक्टर सोमनाथ सिंह ने किया गया मनोचिकित्सक डॉ अभय सिंह ने 22 मानसिक दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए तथा 73 मनो रोगियों के उपचार प्रदान किया गया 9 मानसिक दिव्यांगों को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया
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मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के पीएसडब्ल्यू रवि द्विवेदी ने शिविर में आए हुए आगंतुकों को सिजोफ्रेनिया के विषय पर जानकारी बताएं शुरुआत में शिजोफ्रेनिया के रोगी को अकेला रहने लगता है वह अपनी जिम्मेदारियों तथा जरूरतों का ध्यान नहीं रख पाता रोगी अक्सर खुद की मुस्कुराता या बुध बताता दिखाई देता है रोगी को विभिन्न प्रकार के अनुभव हो सकते हैं जैसे कि कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देना जो अन्य लोगों को ना सुनाई दे कुछ ऐसी वस्तुएं लोग या आकृतियां दिखाई देना जो औरों को न दिखाई दे या शरीर पर कुछ न होते हुए भी सरसराहट या दबाव महसूस होना आदि रोगी को ऐसा विश्वास होने लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते हैं उसके खिलाफ हो गए हैं या उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच रहे हो उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हो या फिर उसका भगवान से कोई संबंध हो रोगी को लग सकता है कि कोई भी बाहरी ताकत उसके विचारों को नियंत्रित कर रही है या उसके विचार उसके अपने नहीं हैं रोगी असामान्य रूप से अपने आप में हंसने रोने या प्रसांगिक बातें करने लगता है रोगी अपनी देखभाल व जरूरतों को नहीं समझ पाता रोगी कभी कभी बेवजह स्वयं या किसी और को चोट भी पहुंचा सकता है रोगी की नींद व अन्य शारीरिक जरूरतें भी बिगड़ सकती हैं यह आवश्यक नहीं है कि हर रोगी में यह सभी लक्षण दिखाई पड़े इसलिए यदि किसी भी व्यक्ति में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो उसे तुरंत मनोचिकित्सा सलाह लेनी चाहिए सिजोफ्रेनिया किसी भी जाति वर्ग धर्म लिंग या उम्र के व्यक्ति को हो सकता है अन्य बीमारियों की तरह ही यह बीमारी भी परिवार के करीबी सदस्यों में आनुवांशिक रूप से जा सकती है इसलिए मरीज के बच्चों या भाई बहन में यह होने की संभावना अधिक होती है अत्यधिक तनाव सामाजिक दबाव तथा परेशानियां भी बीमारी को बनाए रखने या ठीक ना होने देने का कारण बन सकती हैं मस्तिष्क में रासायनिक बदलाव या कभी-कभी मस्तिष्क की कोई चोट भी इस बीमारी की वजह से बन सकती है
रोगी की पहचान कैसे करें: व्यवहारिक बदलाव रोगी को बिगड़ती अवस्था के संकेत हो सकते हैं शुरुआत में व्यक्ति लोगों से कटा कटा रहने लगता है तथा काम में मन नहीं लगा पाता कुछ समय बाद उसकी नींद में बाधाएं आने लगती हैं मरीज परेशान रहने लगता है तथा उसके हावभाव में कुछ अजीब बदलाव आने लगता है वह कुछ अजीब हरकतें करने लगता है जिसके बारे में पूछने पर वह जवाब देने में कतरा ता है समय के साथ-साथ या लक्षण बढ़ने लगते हैं जैसे कि नहाना धोना बंद कर देना गंदगी का अनुभव नहीं होना समय से भोजन या नींद ना लेना बेचैन रहना खुद से बातें करना हंसना या रोना लगातार 0 से देखते रहना चेहरे पर हाव-भाव का न आना लोगों पर शक करना अकारण इधर-उधर घूमते रहना डर लगना अजीबोगरीब हरकतें करना
कार्यक्रम में एमएमडी शर्मा कुमार कम्युनिटी नियर संजय कुमार सीआरए आदेश पांडे कल्बे रजा व अन्य कई कर्मचारी एवं अधिकारी गण उपस्थित थे ।