भारत चीन के बीच 14वे दौर की वार्ता हो चुकी, नही निकला कोई नतीजा

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भारत चीन के बीच 14वे  दौर की वार्ता हो चुकी, नही निकला कोई नतीजा
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पूर्वी लदाख में सीमा पर चल रहे विवाद को लेकर चीन और भारत के बीच 14वी बार बैठक हो चुकी है इस बैठक की वार्ता से कोई निष्कर्ष नही निकला है।लिहाजा,अब 15 दौर की बैठक 13 मार्च को होगी एलएसी के विवादित क्षेत्रो के लिए दोनॉ सेनाओं के बीच बातचीत बेनतीजा हुई।लेकिन अब तक दोनों देश किसी नतीजे पर नही पहुंचे है।इसका सीधा कारण चीन की तानाशाही ही है।चीन सबसे शक्तिशाली पड़ोसी है।पिछले सात दशकों से भारत को घेरनेका प्रयत्न कर रहा है।उसके कारण पश्चिमी और उत्तरी सीमाएं असुरक्षित थी।चीन के वर्तमान नेताओ ने भारत के प्रति शत्रु भाव पाल रखा था।इसलिए झड़प के एक्का दुक्का वृतांत मिलता है।चीन ने बहुत कुछ भारत से सीखा है और वह आज भी सीख रहा है।लेकिन उसने यह नही सीखा की भारत अपने इतिहास में किसी भी देश पर हमला नही किया है।आम चीनियों के जेहन में भारत के प्रति उत्सुकता कम नही हुई है।आम चीनियों के लिए तो भारत भगवान बुद्ध का ही देश है।लेकिन चीन का अवदान भगवान बुद्ध तक सीमित नही है।चीन की नीति भारत के प्रति दूषित रही है।


अरुणाचल प्रदेश पर दावा करने वाले चीन ने भारत पर हमला करने की योजना बनाई थो।क्योकि पाकिस्तान और चीन एक थाली के सट्टे बट्टे है।उसने लदाख में एक वर्ष तक सेना भेजने का मकसद ही रूस जैसे हमला कर भारत का भूभाग छीन लेना था।चीन छुपा रुस्तम है।भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और रूस और अमेरिका से खरीदे सैन्य उपकरण से चीन की हवा निकल गई है।चीन हमेशा अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता रहता है।उसके पीछे रूस की तरह अरुणाचल प्रदेश पर हमला कर कब्जा जमाना चाहता था।इसकी सबसे पहले भनक मोदी को लग गई।उंन्होने सैन्य उपकरण की खरीदी की।


राफेल और अपाचे जैसे लड़ाकू विमान से छीन की हवा टाइट हो गई है।अगर केंद्र में मोदी की जगह कोई कमजोर सरकार आती है तो रूस ने जिस तरह से यूक्रेन पर हमला किया है वैसे ही चीन कर भी सकता है।उसका साथ पाकिस्तान हर हालत में देना चाहेगा।आधुनिक चीन का जन्म एक गहरी असुरक्षा के बीच हुआ है।इसलिए उसमे आक्रमकता आ गई है।मंगोलिया के एक बड़े भाग को अधिग्रहित किया और तिब्बत को हड़प लिया।रूस इस छीनाझपटी में अपना हिस्सा लेकर शांत हो गया।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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