कर्म योग की साधना के संबल हैं राम- महंत लालता दास

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कर्म योग की साधना के संबल हैं राम- महंत लालता दास
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राम कर्मयोग की साधना के सम्बल है। जीवन के वास्तविक लक्ष्य को पाने में लगे हुए प्रत्येक साधक को राम से ही बल मिलता है।

उक्त विचार प्रेमदास कुटी हैदर गढ़ के महंत लालता दास जी महाराज ने बहुताधाम में चल रहे 9 दिवसीय मानस संत सम्मेलन के दूसरे दिन व्यक्त किये। महंत जी ने बताया कि जीवन का उद्देश संसार के कार्यों को भलीभाति न्याय और ईमानदारी के साथ करते हुए ईश्वर तक पहुंचना है । राम स्वयं परमात्मा है। उन्होंने मनुष्य रूप में जन्म लेकर सत्य दया और धर्म का पालन किया है जीवन कठिनाइयों और संघर्ष से भरा है किंतु सफलता उन्हें ही मिलती है जो राम को अपने जीवन पथ का आदर्श मानकर कर्म करते हैं।

लखनऊ से स्वागत प्रोफेसर डॉक्टर जितेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि हनुमान जीव के अंदर छिपी हुई अपार शक्तियों एवम संभावनाओं के प्रतीक है। हनुमान की शक्ति और उनके आत्मबल को जाम्बवान ने जागृत किया था आज हनुमान की भांति भारतीय युवकों में अपार शक्ति एवं बहुक्षेत्रीय प्रतिभा विद्यमान है। उसे अनुभवी मार्गदर्शक शिक्षकों तथा उत्तम शिक्षा के द्वारा जागृत कर निराशा पूर्ण वातावरण को हटाकर राष्ट्र निर्माण की रचनात्मक दिशा में प्रयोग किया जा सकता है।

बाराबंकी के पंडित अवधेश शुक्ला तरंग जी ने बताया कि संसार सुख दुख हानि लाभ जीवन मराठ जैसे विरोधी तत्वों का मिश्रण है सब कुछ अपने अनुकूल नहीं चल सकता ।अतः भगवान का स्मरण करते हुए धर्म और कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए। रायबरेली से आए पंडित शिव शरण अवस्थी ने कहा कि इस नाशवान जगत में भगवान का भजन ही सार है यही जीव की सद्गति और मुक्ति का साधन है।

पं अजय शास्त्री बिंदु ने बताया कि परमात्मा को अपना जीवन धन मानकर उनकी अदाओं को विश्वास पूर्वक मानना और उन पर अमल करना ही ईश्वर भक्ति है। गोसाईगंज लखनऊ से आए पंडित स्वामी दीन शुक्ल ने कहा कि संतों विद्वानों तथा आचार्य लोगों का संग करने एवं रामायण आदि उत्तम ग्रंथों को पढ़ने से अच्छी आदतों का निर्माण होता है और आत्मबल बढ़ता है। गंगागंज रायबरेली के उदयीमान मानस मुक्ता अंकित ने बताया कि वेदों में वर्णित निराकार ब्रह्म ही साकार होकर दशरथ पुत्र राम के रूप में अवतार लेता है ।अतः तुलसी राम के साकार और निराकार दोनों रूपों का वर्णन करते हैं। जबकि कबीर केवल निराकार रूप को ही मानते हैं।

पंडित अभय नाथ शास्त्री ने कहा कि राम सुख और आनंद के उद्गम स्रोत है। सम्मेलन का संचालन पंडित राम निवास शास्त्री ने किया

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