सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन की एक आवश्यक बैठक सम्पन्न
सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन की एक आवश्यक बैठक अभय सिंह सैनी एडवोकेट की अध्यक्षता में कार्यकारिणी कक्ष में हुई। जिसमें मा. उच्च न्यायालय की खण्डपीठ...
सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन की एक आवश्यक बैठक अभय सिंह सैनी एडवोकेट की अध्यक्षता में कार्यकारिणी कक्ष में हुई। जिसमें मा. उच्च न्यायालय की खण्डपीठ...
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सहारनपुर अधिवक्ता एसोसिएशन की एक आवश्यक बैठक अभय सिंह सैनी एडवोकेट की अध्यक्षता में कार्यकारिणी कक्ष में हुई। जिसमें मा. उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापना हेतु केन्द्रीय संघर्ष समिति की सूचना 25 नवम्बर को जेवर में ऐयरपोर्ट के शिलान्यास कार्यक्रम पर प्रधानमंत्री को खण्डपीठ की स्थापना को लेकर ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया और केन्द्रीय विधि मंत्री के आवस पर 27 नवम्बर को पश्चिमी उ.प्र. के अधिवक्ताओं का शिष्टमंडल दिल्ली में वार्ता हेतु जायेगा। उन्होंने कहा कि 25 नवम्बर को अधिवक्ता अपने कार्यों से विरत रहेंगे।
प्रतिबंधित होने के बाद भी खुलेआम बिकती है जानलेवा थाई मांगुर सहारनपुर। प्रदेश सरकार जहां एक तरफ मत्स्य पालन को बढावा देती है, वहीे बाजारों में खुलेआम बिकती है जानलेवा थाई मांगुर। थाई मांगुर एक विदेशी मछली है, जिसका वैज्ञानिक नाम क्लेरियस गेरीपाइस या अक्रीकन कैट फिश भी है। भारत सरकार द्वारा सन 2000 में इसके पालन, विपणन और संवर्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन प्रतिबंधित होने के बाद भी भारत में खुलेआम आज भी इसका व्यापार होता है। इस मछली की विशेषता यही है कि यह मछली पानी में बिना ऑक्सीजन के विकसित हो जाती है। वही अन्य मछलियां पानी में आक्सीन कमी से मर जाती है। यह मांसाहारी मछली है। इंसानों का मांस खाकर भी यह बढ़ जाती है। सड़ा हुआ मांस खाने के कारण इसका विकास बहुत तेजी से होता है और यह चार महीने में ढाई से तीन किलो तक तैयार हो जाती है। इस मछली में घातक हेवी मेटल्स, क्रोमियम, लेड, मरकरी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। इस कारण भारत सरकार द्वारा इसको भारत में 20 साल पहले वर्जित कर दिया गया था। आज भी भारत में इसकी बिक्री पर रोक है। लेकिन लोग अधिक मुनाफे के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन और मत्स्य विभाग यह सब देख कर भी अनदेखा कर रहा है। बाजारों में यह 80 से 100 रूपये किलो तक बिकती है।