यूपी चुनाव को लेकर गठबंधन की बन रही है रणनीति,सपा के चरण में आप
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की धमाकेदार जीत के बाद आप नेताओ ने जिस विश्वास और उम्मीद के साथ पंजाब और गोवा में रुख किया था वही उम्मीद उन्हें भारी पड़...

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की धमाकेदार जीत के बाद आप नेताओ ने जिस विश्वास और उम्मीद के साथ पंजाब और गोवा में रुख किया था वही उम्मीद उन्हें भारी पड़...
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की धमाकेदार जीत के बाद आप नेताओ ने जिस विश्वास और उम्मीद के साथ पंजाब और गोवा में रुख किया था वही उम्मीद उन्हें भारी पड़ गई।अब केजरीवाल कदम फूंक फूंक कर रखते है।दिल्ली में शिला दीक्षित के कुशासन से मुह मोड़कर मतदाताओ ने आम आदमी पार्टी की तरफ रुख किया,तो केजरीवाल में पानी और बिजली की ऑफर में केजरीवाल दिल्लीवासियो के दिल पर राज करने लग गए।दिल्ली से निकल कर बड़ी भूमिका निभाने के लिए निकले केजरीवाल के मंसूबो पर पानी फिरता गया।पंजाब की हार पर केजरीवाल ने एवीएम की धांधली का आरोप लगाया।निराश होकर पार्टी का दामन छोड़ने लगे।दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में बगावत कही न कही सामने आती ही रहती है।
गुजरात मे आम आदमी पार्टी ने 27 सीटे जीती और सूरत के महानगरपालिका में विपक्ष की पार्टी बनी।परन्तु निकाय चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।गुजरात मे आम आदमी पार्टी अपना झंडा गाड़ने की कोशिश की तो थी।लेकिन वहा दूसरी पार्टियों को कोई मतदाता मौका देना नही चाहते है।दिल्ली में भी आप मे अंदरूनी कलह की खबरे आम है। है।आम आदमी पार्टी के नेताओ के नाम भी उछले थे।इन तमाम गणित के बावजूद केजरीवाल की यूपी चुनाव में राह नईआसान नही है।केजरीवाल को पता है कि योगी के सामने हम टिक नही पाएंगे।क्योकि जिस किसी की निंदा या चुगली की जाएगी।उस विभाग से लोगो को उपलब्धि हासिल हुई है।जनता को मनाना बहुत मुश्किल है।2017 के चुनाव में सपा के चरण में कांग्रेस चल कर आई थी।दोनों पार्टियों को हारना पड़ा था।अब आम आदमी पार्टी सपा से गठबंधन करने जा रही है।सपा खोई हुई राजनीति पर काबिज है और केजरीवाल की दिल्ली में सत्ता है।अखिलेश यादव डरे हुए है।लोगो को भांप पाना बड़ा कठिन है।सपा के साथ राष्ट्रीय लोकदल और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होना तय है।सुभासपा और अपना दल ने भी सपा से गठबंधन की बातचीत की है।इन सबका एक ही मकसद है भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है।उधर कांग्रेस अपनी खोई हुई सत्ता को फिर से हासिल करने के , लिए प्रियंका अपने बूते चुनावी मैदान में उतर चुकी है।यूपी में त्रिकोणीय मुकाबले का आभास हो रहा है।भाजपा को चुनौती देने की मंशा से ये छोटे दल का समीकरण बन रहा है।लेकिन योगी को चुनावी समर में मात देना अन्य पार्टी के पास कोई विजन नही है ।27 साल से यूपी बेहाल का नारा जेहन में खटक रहा है। 2022 में यूपी का चुनाव रोचक होता दिख रहा है।





