पराली जलाएं नहीं, जैविक खाद के रूप में कर लें उपयोग

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पराली जलाएं नहीं, जैविक खाद के रूप में कर लें उपयोग

जनपद के ग्राम पंचायतों में कृषि विभाग की ओर से पराली/फसल अवशेष नहीं जलाने को लेकर जागरूक किया गया। उप कृषि निदेशक इन्द्राज ने हनुमानगंज ब्लॉक के बोड़िया गांव में कृषक जागरूकता बैठक में प्रतिभाग किया। उन्होंने किसानों से अपील किया कि खेत में पराली कदापि न जलायें, इसका उपयोग जैविक खाद के रूप में करें। रबी फसल की बोवाई में छिटकवा विधि का प्रयोग न करें, बल्कि बोवाई के लिए इन सीटू यन्त्र-सुपर सीडर, हैपी सीडर एवं जीरोट्रील सीड कम फर्टिलाइजर ड्रील से ही रबी फसल की सीधे बोवाई करें। पराली फसल अवशेष जलाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते है तथा मित्र कीटों के मर जाने से भूमि की उर्वरक शक्ति में गिरावट आती है। कृषकों को निशुल्क वेस्ट डी—कम्पोजर भी वितरित किया गया।

बैठक में ग्राम पंचायत बोड़िया के प्रधान सुनील पाल, जगदीश सिंह, रामजी सिंह व बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे। इसी प्रकार कृषि विभाग के सहायक विकास अधिकारी कृषि, प्राविधिक सहायक, एटीएम/ बीटीएम आदि ने किसानों के साथ बैठ कर पराली जलाने से होने वाले नुकसान को बताते हुए इसे नहीं जलाने की अपील की। जैविक खाद के रूप में इसका कैसे उपयोग करें, इसके बारे में भी बताया। साथ ही पराली प्रबन्धन के लिए नि:शुल्क डिकम्पोजर का वितरण कर इसके उपयोग की जानकारी दी गयी।

किसानों से अपील की गयी कि फसल अवशेष/पराली को खेतो में नहीं जलाएं, बल्कि इसका प्रयोग जैविक खाद के रूप में करें। इन सीटू योजना के यन्त्रों जैसे-पैडी स्ट्राचापर, हैपी सीडर, मोल्ड बोल्ड प्लाऊ, सुपर सीडर, स्लैशर आदि का प्रयोग करते हुए पराली/फसल अवशेष को भूमि में मिला दें, ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति व उत्पादन में वृद्धि हो। इससे खेतों में उर्वरक का भी प्रयोग कम करना पड़ेगा। किसानों को यह भी बताया ​गया कि खेतों में पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है।

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