भारत रूस संबंध से अमेरिका की महत्वकांशा पर प्रहार

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भारत रूस संबंध से अमेरिका की महत्वकांशा पर प्रहार

भारत और रूस के राजनयिक संबंध अद्वितीय और बेमिसाल रहे है।भारत और रूस के सबंधो में पिछले बीस वर्षों में उत्तरोत्तर वृद्धि ही देखने को मिलती है।सैन्य ताकत बढ़ाने में रूस की महती भूमिका है।भारत रूस से सैन्य उपकरण खरीदने में सबसे आगे है।भारत मे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की छोटी मुलाकात में अनेक सरंक्षण सौदे पर हस्ताक्षर किए गए।रूस के साथ मैत्री संबंध अटल है।पुतिन ने भारत को पुराना मित्र कहते हुए कहा कि भारत को हम महान शक्ति की तरह देख रहे है।प्रधानमंत्री मोदी के महत्वकांक्षी मेक इन इंडिया की एक बड़ी ब चुनौती मिली है।आज वर्तमान में विदेशी कम्पनियां भारत मे आकर भारत के हथियार की आपूर्ति कर रहे है।तकनीक की दुनिया बहुत तेजी से बदलती है।भारत ने मेक इन इंडिया की मुहिम शुरू की है।उसका लंबे अंतराल बाद सफलता मिलेगी।इसमें करीब पांच साल का समय और लग सकता है।मेक इन इंडिया जैसी परियोजनाओं में हिस्सेदारी की भागीदारी होगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिका से मजबूत रिस्ते रखना कई घरेलू और वैश्विक वजहों से जरूरी है।अमेरिका और भारत के बढ़ते राजनीतिक रिस्ते से भी अमेरिका भारत के मामलों को नजरअंदाज कर रहा है।रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा और रक्षा सौदे की जलन दिल मे दबा कर रखी है।अमेरिका भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप इसलिए नही कर रहा है कि भारत और अमेरिका की दोस्ती मजबूत हुई है।

भारत ने रूस से ए के 203 रायफल की खरीदी पर मुहर लगाई है।उसके पूर्व में एस -400मिसाइल की खरीदी के बाद अब भारत की नजर एस 500 मिसाइल संभावित सौदे पर है।भारत 80 अरब डॉलर का बूस्टर डोज सरंक्षण सहयोग मजबूत किया है।भारत सबसे ज्यादा रूस से सरंक्षण हथियार का खरीददार है।अमेरिका से भी भारत ने बीस लाख करोड़ का कोरोनकाल में उपकरण आयात किया था।भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और यूरोपीय देशों से भारी मात्रा में हथियार खरीदने की इस शक्ति की आड़ में अमेरिका भारत को परमाणु परीक्षण और मिसाइलों के सरंक्षण सौदे को नजरअंदाज कर रहा है।रुसी राष्ट्रपति का भारत को अनेक मुद्दों पर भरपुए सहयोग देने के लिए भरोसा दिलाया।रूस के राष्ट्रपति की आतंकवाद पर गहरी नजर है।भारत और रूस आतंकवाद पर गंभीर है।प्रधानमंत्री मोदी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए काम कर रहे है।उसीके के साथ सेना के आधुनिकरण के लिए भी भरपूर कार्य किया जा रहा है।लंबे समय तक भारत युद्ध लड़ने की क्षमता रखता है।बड़े बड़े रक्षा सौदे दशकों से लटके है।उन्हें अमली जामा पहनाने के लिए दुनिया की तकनीकी और कानूनी अड़चने भी है।इस सब मे पार पाना मोदी के लिए चक्रव्यू भेदने जैसा है।लेकिन एक से ज्यादा परियोजना को निपटने में मोदी ने सफलता हासिल की है।

*कांतिलाल मांडोत *

Tags:    IndiaRussia
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