ख़ानकाही कव्वाली दब तो सकती है खत्म नहीं हो सकती: असलम साबरी
भारत में वैसे तो अनेक कव्वाल हैं जिनके नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है। इन्हीं में से एक नाम है हाजी असलम साबरी का जो सूफियाना कलाम पढऩे के लिए...

भारत में वैसे तो अनेक कव्वाल हैं जिनके नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है। इन्हीं में से एक नाम है हाजी असलम साबरी का जो सूफियाना कलाम पढऩे के लिए...
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भारत में वैसे तो अनेक कव्वाल हैं जिनके नाम का डंका पूरी दुनिया में बजता है। इन्हीं में से एक नाम है हाजी असलम साबरी का जो सूफियाना कलाम पढऩे के लिए विश्व विख्यात हैं और उनको अनेक देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने मौका मिला। सहरानपुर में एक शादी समारोह में शिरकत करने आये हाजी असलम साबरी ने कहा कि संगीत मुझे विरासत में मिला, परिवार में पांच सौ बरस से इसकी कद्र रही है। मैने जब होश संभाला तो देश के अमनो अमान के लिए इसे पेशा बना लिया। मेरा उद्देश्य है कि समाज से भेदभाव मिटे हम सब एक हो और यह तभी संभव है जब जाति भेद व समुदाय भेद भूल कर हम सब एक का नारा बुलंद करेंगे।
यह बात देश के प्रसिद्ध कव्वाल असलम साबरी ने शहर गणमान्य, पत्रकारों व दानिश सिद्दीकी महासचिव ऊर्दू तालिमी बोर्ड से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कौमी एकता को बढ़ावा देने की अपील करते हुए भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। आगे असलम साबरी बोले ये सोंच लो तुम एक ही मालिक की हो संतान हो कुछ और बनो बाद में पहले बनो इंसान है एक सवाल के जवाब में कहा कि हिन्दी और उर्दू एक है। जीवन में मृत्यु एक सच्चाई है। हर कोई खाली हाथ आया है खाली हाथ ही जाएगी। जीवन प्यार बांटने के लिए है सिर्फ और सिर्फ प्यार बांटो। इस अवसर पर आबिद हसन वफ़ा,इनाम रसूल,मौ० अब्बास,मुकीम राणा,ज़ुहब खान,अय्यूब निज़ामी,अबुज़र देहलवी मौजूद रहे।





