जाने कैसा रहा उद्धव का ढाई वर्षीय सियासी सफर और क्यों टूटी शिवसेना

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जाने कैसा रहा उद्धव का ढाई वर्षीय सियासी सफर और क्यों टूटी शिवसेना

Priyanshi Singh:

राजनीति:- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच इस समय आमने सामने की जंग छिड़ी हुई है। एकनाथ शिंदे के बगावती तेवरों के चलते उद्धव सरकार हिल गई है और कल शाम उद्धव ठाकरे ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव आकर कहा कि अगर सभी विधायक कह दे तो वह अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। वही इस समय महाराष्ट्र की दशा यह है कि सभी विधायक अब एक एक करके एकनाथ शिंदे के समर्थन में जा रहे हैं। अब तक 55 मे से 49 विधायक एकनाथ के पक्ष में खड़े हो गए। वही शिवसेना कार्यकर्ताओ का कहना है कि यह सब शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन के कारण हुआ है। इन दोनों दलों की विचारधारा अलग है उद्धव ठाकरे अगर यह गठबंधन खत्म कर दें तो शायद हालत कुछ सुधर जाएं।

उद्धव का ढाई वर्षीय सियासी सफर:-

वही अगर हम उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के सफर की बात करे तो उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री हुए ढाई साल हो गया है। इन्होंने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और गुजरात की राजनीति में अपना सफर शुरू क़िया। ठाकरे परिवार से संवैधानिक पद पर बैठने वाले उद्धव ठाकरे पहले व्यक्ति थे। इनका आरंभिक राजनीतिक सफर काफी अच्छा रहा। जब शिवसेना सत्ता में आई तो विचारधारा के दो विपरीत छोर पर खड़ी पार्टियां सियासी मजबूरियों की वजह से साथ आईं और महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन बना।

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के लिए हर एक पैतरा अपनाया , भाजपा से वर्षो पुराना गठबंधन तोड़ दिया। जिस हिंदुत्व के बलबूते पर शिवसेना और भाजपा लम्बे समय से एक थे उन्हें सत्ता की भूख और मुख्यमंत्री के पद ने अलग कर दिया। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने भाजपा से अलग होकर विपरीत विचारधारा वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई। वैसे तो इस ढाई साल की सरकार में उद्धव ठाकरे को काफी कुछ देखना पड़ा लेकिन एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर ने उनकी सरकार के किले को चरमराकर रख दिया।

इस समय महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के सामने सिर्फ अपनी सरकार को बचा कर रखने की नहीं अपितु अपनी पार्टी को बचाने की बड़ी चुनौती है। क्योंकि शिवसेना के मजबूत नेता एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी के विरोध में विद्रोह कर दिया है। एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक उनके समर्थन में खड़े हो गए हैं और राजनीतिक गलियारों में यह हलचल तेज है कि वह जल्द ही अपने विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अब अगर एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की बात नहीं सुनी तो भी यहां उनका ढाई साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और अगर उन्होंने उद्धव ठाकरे की बात सुनी तब भी उद्धव ठाकरे गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे।

ढाई साल में उद्धव की कमाई:-

उद्धव ठाकरे ने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उनकी छवि एक बेदाग नेता की थी। लोग उन्हें हिंदुत्व का चेहरा मानते थे। उद्धव ठाकरे के समर्थन में काफी जनता थी। लेकिन ढाई साल की सरकार में उद्धव ठाकरे की छवि कही न कही धूमिल हुई है। उन्हें उनकी पार्टी में ही उतना समर्थन नहीं मिला जितना एकनाथ शिंदे को मिला और उनके एक झटके में उद्धव ठाकरे को हिला कर रख दिया। उद्धव ठाकरे ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में कोई भी ऐसा काम नहीं किया जिसने जनता के बीच एक अलग छाप छोड़ी हो। हालाकि कोविड महामारी के दौरान इनके बचाव कार्यो की कई विशेषज्ञयों ने तरीफ की है।

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