नंदलाल ने नब्बे के दशक में जगदीशपुर में सपा का लहराया था परचम

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नंदलाल ने नब्बे के दशक में जगदीशपुर में सपा का  लहराया था  परचम
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अमेठी --- जगदीशपुर सुरक्षित से 1977 में जनता पार्टी से रामफेर कोरी और 1994 में नन्दलाल पासी ने जगदीशपुर में समाजवादी पार्टी का परचम लहराया था उस समय प्रदेश में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी यदि इन दोनों के अतिरिक्त देखा जाये तो भारतीय कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है जिसके चलते रामसेवक धोबी ने नौ बार तो एक पंचवर्षीय उनके नाती राधेश्याम धोबी ने जगदीशपुर का प्रतिनिधित्व किया जिसका एक बडा कारण लोस क्षेत्र अमेठी से संजय गाँधी , देश के पीएम रहे राजीव गाँधी और केएल शर्मा का सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व भी रहा है जिसके चलते अमेठी को कांग्रेस का गढ माना जाने लगा जहाँ अन्य दल की जीत टेढी खीर दिख रही थी लेकिन 1977का चुनाव इस सोच के विपरीत रहा भारतीय कांग्रेस पार्टी के विरोध में विपक्ष जनता पार्टी के रूप खडा हुआ देश व प्रदेश में जनता पार्टी की तीव्र लहर के सामने कांग्रेस की नही चली उसी लहर में जनता पार्टी के रामफेर कोरी ने जगदीशपुर से अपनी जीत दर्ज करायी थी ढाई साल के बाद हुए चुनाव में रामसेवक धोबी ने जीत हाशिल किया और नौ बार विधायक हुए लगता जैसे कोई कांग्रेस के वर्चस्व को डिगा नही सकेगा ?


किन्तु राजनीतिज्ञों की पैनी नजर यहाँ के जातीय समीकरण पर टिक गई और पासी बाहुल्य होने के कारण समाजवादी पार्टी ने नन्दलाल पासी को यहाँ सपा का वर्चस्व स्थापित करने हेतु 1994के चुनाव में उतार दिया पूरे प्रदेश में हवा मुलायम सिंह यादव के पक्ष में थी नन्दलाल ने जगदीशपुर में सपा का परचम लहराया जिसमें पासी के बाद संख्या में दूसरे स्थान पर स्थित मुस्लिम समुदाय का छोटा समूह और यादव सहित अन्य पिछडा समाज का एकजुट होना भी जीत का कारण रहा इनके बाद भाजपा से रामलखन पासी ने कमल खिलाया 2012के चुनाव में रामलखन पासी की हार और राधेश्याम धोबी की जीत हुई और 2017के चुनाव में इन्हें भाजपा के सुरेश पासी से हार का सामना करना पडा इस क्षेत्र से यदि 77की विपक्षी एकजुटता के अतिरिक्त देखा जाये तो कांग्रेस को जगदीशपुर से जब जब निराशा हाथ लगी तो अन्य दल से पासी समुदाय से इकलौता प्रत्यासी रहा है चाहे सपा से नन्दलाल रहे हो या फिर भाजपा से क्रमश:रामलखन पासी व सुरेश पासी हों किन्तु 2022का चुनाव इस समीकरण से इतर दिख रहा है लोगों की मानें तो पासी समुदाय अनिश्चितता की स्थित में प्रतीत हो रहा है और कदाचित सपा भी इसी समुदाय का प्रत्यासी उतार देती है तो यह स्थित और गहरी हो सकती है ऐसे में इस क्षेत्र के मतदाताओं का संकेत किधर होगा यह कह पाना असम्भव सा है।

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