यूपी : वनटांगिया गांव में दिवाली की खुशियां बांटेंगे सीएम योगी
कुसम्ही वन के बीच बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की प्रतीक्षा में उल्लास और उमंग से भरे हैं।...
कुसम्ही वन के बीच बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की प्रतीक्षा में उल्लास और उमंग से भरे हैं।...
कुसम्ही वन के बीच बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन के लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की प्रतीक्षा में उल्लास और उमंग से भरे हैं। कारण, सीएम योगी इस वनटांगिया गांव में दीपोत्सव मनाने आते हैं। यहां दीप योगी के नाम पर प्रज्वलित होते हैं।
वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन में प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो गांव के लोग मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए अपने-अपने घर-द्वार को साफ सुथरा बनाने, रंग-रोगन करने और सजाने-संवारने में। तैयारी ऐसी मानों उनके घर उनके आराध्य आने वाले हों। सब कुछ स्वतः स्फूर्त और मिलजुलकर। मुख्यमंत्री इस गांव में गुरुवार (31 अक्टूबर) को आकर दीपोत्सव मनाएंगे। वनटांगिया समुदाय के साथ दीपावली की खुशियां साझा करने के साथ मुख्यमंत्री जिले की कई ग्राम पंचायतों को कुल 185 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात देंगे।
सीएम योगी की अगवानी के लिए वनटांगिया समुदाय के लोगों का उत्साह स्वभाविक है। मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ की ही वजह से वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन को अब प्रदेश के अति विशिष्ट गांव के रूप में जाना जाता है। योगी यहां वर्ष 2009 से ही बतौर सांसद दीपावली मनाते रहे हैं और 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने खुद द्वारा शुरू की गई परंपरा में रुकावट नहीं आने दी है। बतौर मुख्यमंत्री वह गुरुवार को लगातार आठवीं बार वनटांगिया गांव के लोगों के साथ दीपावली की खुशियां साझा करेंगे।
उल्लेखनीय है योगी के कदम पड़ने के साथ ही वनटांगियों की उपेक्षा लगातार पूरी होती उम्मीदों में बदलती गई। बतौर सांसद उन्होंने लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाया। 2017 में मुख्यमंत्री बने तो वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर उन्हें शासन प्रदत्त सभी सुविधाओं का हकदार बना दिया। उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, जैसे संसाधनों के साथ ही यहां रहने वालों को जनहित की सभी योजनाओं से आच्छादित कर दिया है। रविवार को वनटांगिया गांव में मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं तो गांव के लोग भी उमंग-तरंग के साथ स्वागत को तैयार हैं।
ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए बर्तानिया सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल में बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की "टांगिया विधि" का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग-अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी। नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थी। जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। समय-समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से।
वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद चुने गए। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं। नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी। इस काम में संस्थाओं को लगाया गया। उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा यहां पहुंचाया गया। जंगल तिनकोनिया नंबर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते-आते मूर्त रूप लेने लगे। इस गांव के कोटेदार रामगणेश कहते हैं कि महाराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) यहां तारणहार बनकर आए। बकौल रामगणेश, 2009 में जंगल तिकोनिया नंबर तीन में योगी के सहयोगी वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण कर रहे थे। वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी। योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका। हिन्दू विद्यापीठ नाम से यब विद्यालय आज भी योगी के संघर्षों का साक्षी है।
वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात देकर खुश कर देते हैं।