यूनिसेफ ने उत्तर प्रदेश में बालिका सुरक्षा पर हितधारक परामर्श का आयोजन किया
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO Act), 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन पर “बालिका की सुरक्षा: उसके लिए उत्तर...


किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO Act), 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन पर “बालिका की सुरक्षा: उसके लिए उत्तर...
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO Act), 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन पर “बालिका की सुरक्षा: उसके लिए उत्तर प्रदेश में सुरक्षित एवं सक्षम वातावरण” विषयक राज्य स्तरीय हितधारक परामर्श (Consultation), उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति के तत्वावधान में तथा यूनिसेफ, लखनऊ के सहयोग से 7 सितम्बर 2025 को न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (JTRI), लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया गया। इस परामर्श में उत्तर प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीश, POCSO न्यायालयों के न्यायाधीश, 31 जनपदों के किशोर न्याय बोर्डों के प्रधान मजिस्ट्रेट, अन्य हितधारक तथा बाल देखभाल संस्थानों (Child Care Institutions) से जुड़े बच्चे भी शामिल हुए।
परामर्श का उद्घाटन सत्र 7 सितम्बर 2025 को प्रातः 09:30 बजे से 11:00 बजे तक JTRI के नालंदा सभागार में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय श्री न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने किया। इस अवसर पर माननीय श्री न्यायमूर्ति रंजन रॉय, वरिष्ठ न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति अजय भनोट, न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति भी उपस्थित रहे। मंच पर श्रीमती लीना जौहरी, आईएएस, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार तथा डॉ. ज़कारी एडम, प्रमुख, फील्ड ऑफिस, यूनिसेफ भी उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि का संबोधन
न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने महात्मा गांधी के प्रेरक शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा—“यदि हमें इस दुनिया में वास्तविक शांति प्राप्त करनी है तो हमें बच्चों से शुरुआत करनी होगी।” उन्होंने कहा कि बालिका की सुरक्षा कोई उपकार नहीं, बल्कि एक न्यायसंगत एवं प्रगतिशील समाज की दिशा में एकमात्र मार्ग है। उन्होंने इस परामर्श को सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने वाली महत्वपूर्ण पहल बताया।
माननीय श्री न्यायमूर्ति रंजन रॉय का संबोधन
माननीय श्री न्यायमूर्ति रंजन रॉय ने कहा कि बालिका के विरुद्ध विद्यमान बुराइयों की जड़ सामाजिक मानसिकता की जड़ता है। उन्होंने आज के समय में नैतिक मूल्यों के पाठ पढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और सामाजिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। यदि कानून का प्रवर्तन कमजोर है और सामाजिक सोच में बदलाव नहीं आता, तो मात्र कानून पर्याप्त नहीं होगा।
माननीय श्री न्यायमूर्ति अजय भनोट का संबोधन
माननीय श्री न्यायमूर्ति अजय भनोट ने इस परामर्श के महत्व और इसके दूरगामी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने बच्चों के अधिकारों की दिशा में शासकीय नीतियों में आ रहे सकारात्मक परिवर्तन पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की सहायता से तैयार नई शिक्षण पद्धति का उल्लेख किया, जो शिक्षा को बाल विकास से जोड़ती है। उनके अनुसार—“अंधकार को कोसने से बेहतर है कि एक दीपक जलाया जाये
श्रीमती लीना जौहरी, आईएएस, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ने कहा कि राज्य सरकार बालिका की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है और मिशन वात्सल्य एवं मिशन शक्ति जैसी योजनाओं के माध्यम से इस दिशा में कार्य कर रही है।
डॉ. ज़कारी एडम, प्रमुख, फील्ड ऑफिस, यूनिसेफ ने इस परामर्श को सहभागी प्रक्रिया बताते हुए कहा कि प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श कर विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने जोखिमों की पहचान, बाल–अनुकूल प्रक्रियाओं का निर्माण और जवाबदेही की स्थापना को प्रमुख कदम बताया।
प्रमुख पहल एवं कार्यक्रम
चंदौली से आयी चंचल कुमारी, जो की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एंबेसडर (Ambassador) हैं, बाल विवाह को मिटाने के लिए काम कर रही हैं और इसकी चॅम्पियन हैं, ने अपनी बाल विवाह से बच निकलने की यात्रा का वर्णन किया और आगे की पढ़ाई जारी रखी Iसाथ ही बताया कि कैसे अब वह दूसरों के लिए उदाहरण साबित हो रही हैं I
‘नई राहें, नए सपने’ शीर्षक से एक visual दृश्य प्रस्तुति दिखाई गई, जिसमें बाल देखभाल संस्थानों में योग कक्षाएँ, कंप्यूटर प्रशिक्षण, ध्यान, बागवानी, खेलकूद, संगीत, कला, नाटक और अन्य सॉफ्ट स्किल्स के माध्यम से किए जा रहे विकासात्मक कार्यों को दर्शाया गया।
इस परामर्श के मंच से कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की गईं, जिनमें—
* ‘उड़ान’ पत्रिका के दूसरे संस्करण का विमोचन,
* उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति की वेबसाइट का शुभारंभ,
* 32 जिलों में स्थित 52 बाल देखभाल संस्थानों में पुस्तकालयों का उद्घाटन,
* महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश और लखनऊ विश्वविद्यालय, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय तथा छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के मध्य समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर शामिल हैं।
कानपुर विश्वविद्यालय ने पहले ही शिक्षण पद्धति विकास का कार्य प्रारंभ कर दिया है और बाल देखभाल संस्थानों से मनोवैज्ञानिक प्रोफाइलिंग, समूह गतिविधियाँ तथा कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सक्रिय रूप से जुड़कर बच्चों के समाज में पुनः एकीकरण की दिशा में कार्य कर रहा है।
श्री दिवेश चंद्र सामंत, निदेशक, JTRI ने माननीय मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया तथा विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला।