युवा शक्ति को प्रतिभा का अवसर प्रदान करे

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युवा शक्ति को प्रतिभा का अवसर प्रदान करे

युवा शक्ति एक जोश ,उत्साह और सक्रियता का पुंज है।समाज और देश मे रीढ़ की हड्डी के समान महत्वपूर्ण अभिन्न अंग है।जब उसने करवट लेकर क्रांति का शंखनाद किया तब इतिहास के स्वर्णिम पृष्टों का निर्माण किया है।युवाओ को मार्ग दर्शन मिले तो स्वयं और राष्ट्र के लिए वरदान बन सकते है।युवाओ को अनदेखा करके किसी भी क्षेत्र में सफलता त्रिकाल में भी संभवतया नही मिल सकती है।बुजुर्गों का कर्तव्य है कि अपने नेतृत्व में उनका उत्साह वर्धन करे।युवाओ से कुछ भूल भी हो जाये तो कोसने के बजाय अनदेखा कर कहे,कोई बात नही गलतियां तो होती है।युवाओ को मार्गदर्शन करें ताकि उनके जीवन को कुछ उपलब्ध हो सके।पश्चिमी अंधानुकरण के कारण युवा भटक गए है।उनको सही मार्ग पर लाने के लिए हम सभी का कर्तव्य है कि उनको सही दिशा मिले।इंटरनेट और मोबाइल के इस दौर में भ्रमित होता युवाधन देश के लिए घातक समान है।युवाओ को दिशा निर्देशन मिलना चाहिए।आज के समय मे युवाओ को विचलित करने का मुख्य कारण रोजगार परक दृष्टिकोण है।युवाओ की शक्ति देश और समाज के लिए लगनी चाहिए।भारत युवाओ का देश है।दुनिया मे भारत की ताकत का अंदाजा उस समय हुआ था कि जब युवाओं की संख्या विश्व मे बाकी देशों से सबसे ज्यादा है।

जहा आस्था होती है वहा श्रद्धा भी होती है वहा काम आसान हो जाता है।भगवान के प्रति आस्थावान रहेंगे,श्रद्धावान रहेंगे तो हमारा जीवन निर्मल हो जाएगा।पवित्र हो जाएगा।युवा शक्ति को इसका स्मरण करावे।भीतर की आंख खुलती है तो भगवान दिखते है।धर्म सभी पाप को नष्ट करता है।पद लिप्सा और भूख ने समाज और देश को कही का नही रखा।त्याग,बलिदान,सेवा और समर्पण का भाव अंतरमन में विकसित हो जाएंगे उसका जीवन धन्य और कृत्य कृत्य हो जाएगा। व्यसन और फैशन के कीड़े समाज को खोखला कर रहे हैं।युवा ड्रग्स ,शराब और गांजे के नशीले पदार्थों को जीवन का अंग बना लिया है।देश कहा जाकर रुकेगा।समाज मे बढ़ती दूरियां युवाओ को पीछे धकेल रही है।देश को आगे ले जाना है तो युवाधन को तवज्जो देनी होगी।युवा जिस तरह से भ्रमित हो रहा है यह एक चुनौती है।इसे चुनौती के रूप में स्वीकार नही किया तो 21वी सदी की मनोकामना धूमिल हो जाएगी।युवाओ को स्वाभिमान का पाठ पढ़ाया जाना अत्यंत जरूरी है।युवाओ को अत्यंत प्यार और विश्वास में लेकर चले।यह असली संपत्ति है।इनके साथ हीरे पन्ने भी नगण्य है।धार्मिकता, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रो में युवाओ को भागीदारी देना चाहिए।ऐसा नही होने पर युवा अपनी शक्ति को कही न कही अवश्य लगाएगा।यदि युवा शक्ति भटक गई तो उसके दोषी हम स्वयं होंगे।

*कांतिलाल मांडोत सूरत*

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