आरपीएन सिंह की बीजेपी में एंट्री
कांग्रेस की पिच पर एक लंबी पारी खेलने के बाद पूर्वांचल के कद्दावर नेता कुवर आर पी एन सिंह भाजपा के साथ मिलकर एक नई पारी खेलने को तैयार हैं। पिछले कुछ...


कांग्रेस की पिच पर एक लंबी पारी खेलने के बाद पूर्वांचल के कद्दावर नेता कुवर आर पी एन सिंह भाजपा के साथ मिलकर एक नई पारी खेलने को तैयार हैं। पिछले कुछ...
कांग्रेस की पिच पर एक लंबी पारी खेलने के बाद पूर्वांचल के कद्दावर नेता कुवर आर पी एन सिंह भाजपा के साथ मिलकर एक नई पारी खेलने को तैयार हैं। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी में जाने की लगाई जा रही अटकलो पर पूर्व मंत्री ने विराम लगाते हुए कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफ़ा देकर यह साबित कर दिया कि राजनीति में सिद्धांत नहीं वरन सत्ता सुख सर्वोपरी है।इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि कांग्रेस के पूरे भारत में निरंतर संकुचित होने के कारण और अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए ही इन्होंने भाजपा की तरफ कदम बढ़ाया है। दल बदल की यह पठकथा बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी। और इसका आभास शायद कांग्रेस आलाकमान को भी हो गया था।
यही कारण है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अभी तक उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दिया गया था। श्री सिंह का पुरा परिवार शुरु से ही कांग्रेसी रहा है। इनके पिता कुवर सीपीएन सिंह कांग्रेस में रहते हुए रक्षा राज्य मंत्री रह चुके हैं। पिता के बाद राजनीतिक विरासत को आरपीएन ने संभाला और कांग्रेस मे रहते हुए तीन बार विधायक रहे। 2009 में कांग्रेस से लोक सभा का चुनाव जितने के बाद इनको मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया। लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इनको हार का सामना करना पड़ा।पूर्वांचल के कुछ जिलों में आरपीएन पिछड़ा वर्ग के सैंथवार- कुर्मी समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। और ये जातियाँ इन क्षेत्रों मे चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने का सामर्थ्य रखती हैं। ऐसी परस्थिति में आरपीएन का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है। शिवेन्द्र यादव ( उत्तर प्रदेश)