सरकारी जमीनों पर कब्जा मुक्त की कार्रवाई व्यक्ति को देखकर

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सरकारी जमीनों पर कब्जा मुक्त की कार्रवाई व्यक्ति को देखकर
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शनिवार को कब्जा मुक्त की कार्रवाई के नाम पर छोटी-छोटी बाउंड्रीबाल निर्माण को तो गिराया लेकिन दो मंजिला बने भवनों पर प्रशासन की कार्रवाई करने की नहीं पड़ी हिम्मत वही ग्राम सभा मिरानपुर पिनवट के 30 से अधिक कांटा नंबर जो चरागाह ,बंजर, ग्राम सभा खलिहान व तालाब में दर्ज है जिन पर है भू माफियाओं है का कब्जा नहीं हो रही कोई कार्यवाई ।

मिरानपुर पिनवट के पूर्व प्रधान राकेश कुमार सिंह व वंदना सिंह द्वारा दर्जनों बार तहसील प्रशासन को की जा चुकी है लिखित शिकायतें किंतु आज तक नहीं हुई किसी प्रकार की जांच व कार्रवाई ।

सरोजिनी नगर के पूर्व प्रधान संघ अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह द्वारा जन सूचना के माध्यम से मांगी गई कृत कार्रवाई - न देने पर सूचना आयोग मे की गयी अपील फिर भी कृत कार्रवाई की नहीं मिली कोई सूचना जिन करोड़ो रुपए मूल्य की सरकारी जमीनों को तहसील प्रशासन कब्जा मुक्त कराता है कुछ माह बाद ही उन्ही जमीनों पर पुनः हो जाता है भू माफियाओं का कब्जा 2 दिन पूर्व ही सरोजनी नगर के पिपरसंड निवासी बृजेश सिंह ने तहसील प्रशासन पर आरोप लगाया था कि मेरे द्वारा पूर्व प्रधानपति सोनू सिंह द्वारा ग्राम सभा के चरागाहों के नंबरों पर कब्जा कर उसे फिल्म सिटी वालों को डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह किराए पर दे रखा है किंतु तहसील प्रशासन द्वारा उस पर कोई कार्यवाही न कर बल्कि मेरे 50 साल पुराने निर्मित पैतृक मकान को अवैध बताकर बुलडोजर चलवा दिया उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भू माफियाओं पर एक्शन ले रही है वही सरोजनी नगर तहसील क्षेत्र के शराफत नगर न्यू रहीमाबाद में खसरा संख्या 898 पर प्रसासन ने कब्जा मुक्त करने की कार्यवाही की वास्तविकता यह है कि प्रशासन की कार्यवाही हवा हवाई नजर आ रही है, प्रशासन कब्जा मुक्त कराने की बात लगातार करता है पर जमीनी हकीकत कुछ और है कागजों पर करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन कब्जा मुक्त कराई जाती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ छोटी-छोटी बाउन्ड्रियो को गिरा दिया जाता है लेकिन बने मकानों को ध्वस्त करने की प्रशासन की हिम्मत नहीं होती । ऐसा ही एक वाकया सरोजिनी नगर के शराफत नगर में देखने को मिला जहां पर करोड़ों रुपए की जमीन कब्जा मुक्त कराने की बात की गई लेकिन आसपास की छोटी बाउन्ड्रियो को गिरा दिया गया लेकिन बीच में बने एक व दो मंजिला मकान प्रशासन की इस कार्रवाई का मखौल उड़ाते देखे जा सकते हैं । इस बाबत जब सरोजिनी नगर के तहसील ज्ञानेंद्र सिंह से जानकारी की गयी तो उन्होंने बताया की तहसील दिवस में किसान के द्वारा शिकायत की गई थी जिसके आधार पर शराफत नगर में खसरा संख्या मे 988 जमीन के एक बड़े हिस्से में कब्जा था जो प्रार्थना पत्र के आधार पर तहसील प्रशासन के द्वारा गठित राजस्व टीम के साथ मौका मुआयना कर उक्त जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया । तहसीलदार ने बताया कि लेखपाल को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है,जैसे रिपोर्ट लेखपाल के द्वारा प्रस्तुत की जाती है विस्तार से मीडिया को दी जाएगी । सूत्रों की माने तो शराफत नगर की जमीन जो कि घसीटाराम की है उनको शराफत नगर के प्रॉपर्टी डीलर के द्वारा लोगों को प्लाट बेच कर करोड़ों रुपए की कमाई की गई ।और जिन प्लाट स्वामियों को वह प्लॉट बेचे गए उनके पास उन प्लाटों की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज भी है उन्होंने तहसील प्रशासन पर आरोप लगाया मारी प्लाटों की जब रजिस्ट्री हुई और दाखिल खारिज हुई तब तहसील प्रशासन द्वारा दाखिल खारिज के समय उनके प्लाटों को अवैध घोषित क्यों नहीं किया गया। साथ ही अतिक्रमण के नाम पर हटाए गए कब्जो के बीच में एक मंजिला व दो मंजिला भवन कैसे खड़े हैं ।

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