सपा व्यपार सभा ने नोटबंदी दिवस को काला दिवस के रूप में मनाया

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सपा व्यपार सभा ने नोटबंदी दिवस को काला दिवस के रूप में मनाया
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नोटबन्दी दिवस को काला दिवस मनाते हुए आज समाजवादी व्यापार सभा ने पदयात्रा/धरना प्रदर्शन आयोजित किया। समाजवादी व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय गर्ग ने कहा कि नोटबन्दी देश विशेषकर व्यापारी समाज को तबाह और बर्बाद करने वाला भाजपा का तुगलकी फैसला बताया।आज समाजवादी व्यापार सभा ने नोटबन्दी की 5 वीं बरसी पर काला दिवस मनाते हुए पदयात्रा/धरना आयोजित किया।

उन्होने कहा की आज के दिन 5 साल पहले 500 और 1000 रुपए के नोट जो चलन में थे उसको प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा चलन से बाहर करने का फरमान रात को 8 बजे दिया था। इस गैरजिम्मेदाराना और तुगलकी फैसले से छोटे,मध्यम व बड़े,हर वर्ग के व्यापारी बर्बाद हुए।आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के दौरान 15 लाख 41 हजार करोड़ के (500,1000) नोट चलन में थे।जिसमें 15 लाख 31 हज़ार करोड़ के नोट वापस आ गए यानि 99.3: वापस आ गये। उस वक्त ही देश की जीडीपी में 2: की गिरावट आई मतलब 3 लाख 50 हजार करोड़ का भारत सरकार को नुकसान हुआ।लाखो नौकरियों में कटौती हुई । छोटे-छोटे उद्योग धंधे बंद हो गये जिससे बड़ी संख्या मे मजदूर और और छोटे व्यापारी बेरोजगार हुए । अंतिम आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 2017-18 में बेरोज़गारी बीते 45 सालों में सबसे अधिक यानी 6.1ः पर थी. ब्डप्म् के हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार यह दर तब से अब तक लगभग दोगुनी हो चुकी है।

प्यू रिसर्च के अनुसार, 2021 की शुरुआत से अब तक 2.5 करोड़ से अधिक लोग अपनी नौकरी गँवा चुके हैं और 7.5 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा पर पहुँच चुके हैं, जिनमें 10 करोड़ मध्यम वर्ग का एक तिहाई शामिल है।कितने लोग एटीएम की लाइन में खड़े रहने के कारण मर गये। कितने मरीजों ने अस्पताल में समय से दवा ना मिलने पर दम तोड़ दिया। कितनी बहनों की शादियां टूट गईं। किसानों की खेती पर बुरा असर पड़ा आदि।नोटबंदी के दौरान मोदी जी ने कहा था सिर्फ मुझे आप 50 दिनों का समय दे , मैं नक़ली करंसी , कालाधन, भ्रष्टाचार, और आतंकवाद को खत्म कर दूँगा।लेकिन एक भी वादा पूरा नही हुआ।नोट काले सफेद नहीं होते आप का लेन देन काला सफेद होता है।तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोटबन्दी के तुगलकी फैसले की वजह जान गंवाने वालों के परिवार को मुआवजा दिया।परन्तु भाजपा सरकार का रवैया बहुत ही संवेदनहीन रहा।भाजपा को देश से माफी मांगनी चाहिए।

नोटबंदी ने सप्लाई चेन को तबाह कर दिया और 2017 से इनपुट दामों में बढ़ोतरी के कारण महंगाई आसमान छूने लगी।भाजपा जब सरकार में आई उस समय भारत की जीडीपी उच्च स्तर यानी 7-8ः पर थी, जो 2019-20 की चौथी तिमाही के दौरान दशक के सबसे कम स्तर यानी 3.1ः पर आ गई।नोटबन्दी की घोषणा के पांच साल बाद भी अर्थव्यवस्था में नकदी की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। छब्त्ठ के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में करीब 92 करोड़ के जाली नोट देश के अलग अलग हिस्सों में पकड़े गए।समाजवादी व्यापार सभा ने माँग रखी की भाजपा इस बिना सोचे समझे गैरजिम्मेदाराना तरीके से लागू की गई नोटबन्दी के लिये देश से माफी मांगें।

Tags:    SPDemonetisation
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