सरोजनीनगर में टिकट के दावेदारों की बढ़ी बेचैनी,भाजपा, सपा ने अभी नहीं खोले पत्ते
राजधानी की किसी भी सीट पर भाजपा ने अभी तक कोई भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है सपा ने अभी राजधानी की कुल 9 सीटों में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र के 7...


राजधानी की किसी भी सीट पर भाजपा ने अभी तक कोई भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है सपा ने अभी राजधानी की कुल 9 सीटों में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र के 7...
राजधानी की किसी भी सीट पर भाजपा ने अभी तक कोई भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है सपा ने अभी राजधानी की कुल 9 सीटों में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र के 7 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है लेकिन सरोजिनी नगर विधानसभा की सीट को दोनों पार्टियों द्वारा घोषित न करने पर प्रत्याशियों और लोगों के बीच बेचैनी बढ़ा रहा है। बसपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन लोगों की निगाहें भाजपा और सपा प्रत्याशियों के नामों पर टिकी हुई हैं जिसे लेकर कयासों का बाजार गर्म है। बीजेपी के सिटिंग एमएलए तक के टिकट कटने और दूसरे प्रत्याशी के चुनाव मैदान में आने को लेकर चर्चाएं जारी हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी से टिकट को लेकर पति पत्नी दोनों आमने-सामने हैं लेकिन टिकट घोषित न होने से टिकट के दावेदारों और उनके समर्थकों में में बेचैनी है। यह सवाल हो रहा है कि आखिर राजनैतिक दल कब तक अपने पत्ते खोलेंगे।सरोजनीनगर विधान सभा में कांग्रेस की सीट पर गुटबाजी पहले से रही है। जिसमें विधानसभा प्रत्याशी के रूप में रुद्र दमन सिंह सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने पर सीट के प्रमुख दावेदारों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया खुद को प्रबल दावेदार मानने वाली कांग्रेस के पोस्टर गर्ल प्रियंका मौर्या को कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज हुई तो भाजपा का दामन थाम लिया। वही लंबे समय से कांगस पार्टी में जुड़े सुनील दुबे को भी मायूसी हाथ लगी तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वही भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में टिकट के फाइनल को लेकर जितना लंबा मामला खिंच रहा है उतनी ही बेचैनी दावेदारों के समर्थकों में बढ़ रही है। टिकट होने की ही इस थकाऊ प्रक्रिया ने उनकी झुंझलाहट को बढ़ा दिया है। फिलहाल सपा और भाजपा ने राजधानी की किसी भी सीट पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। वही बहुजन समाज पार्टी ने राजधानी सभी 9 सीटों समेत सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने युवा प्रत्याशी जलीस खान को पार्टी से टिकट देकर मैदान में उतारा है। भाजपा ने अभी कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सरोजनीनगर विधानसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान विधायिका और प्रदेश सरकार में मंत्री स्वाति सिंह के विरुद्ध उनके ही पति दयाशंकर सिंह जो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं उन्होंने क्षेत्र से प्रबल दावेदारी ठोक रखी है सोशल मीडिया पर दयाशंकर के सरोजनी नगर विधानसभा सीट से टिकट फाइनल होने की खबरें भी प्रसारित हो रही हैं ऐसी खबरों से दयाशंकर के समर्थकों में खुशी की लहर भी है लेकिन भाजपा हाईकमान ने कोई भी सूची जारी नहीं की है। फिलहाल पति-पत्नी दोनों ही टिकट की रेस में है लेकिन टिकट फाइनल न होने से दोनों ही नेता परेशान घूम रहे हैं। फिलहाल भाजपा से अन्य स्थानीय नेताओं द्वारा अपनी दावेदारी मजबूत बताई जा रही है। फिलहाल विधानसभा क्षेत्र से सपा के गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी ने टिकट रोक रखी है जिसका दावेदारों को नहीं पता है कि किस के खाते में सीट जाएगी।
-: उत्तर प्रदेश की राजधानी की सरोजनीनगर विधानसभा यूपी की हॉट सीट में आती है। वर्तमान में स्वाति सिंह यहां से विधायक और प्रदेश सरकार में महिला एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री भी हैं। अब एक बार फिर सत्ता के निर्णय का समय नजदीक है। इस बार कौन सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा ये तो जनता चुनाव में तय करेगी। 2017 के चुनाव में तो मोदी लहर में कई नए चेहरे विधायक बने सरोजनी नगर विधानसभा भी यह एक ऐसी सीट हैं।यहां से स्वाति सिंह पहली बार विधानसभा पहुंची और मंत्री भी बनीं। इस चुनाव में स्वाति सिंह ने सपा के अनुराग यादव को 34179 वोट से हरा दिया।2012 में यह सीट सपा के कब्जे में थी।इस चुनाव में सपा के शारदा प्रताप शुक्ल और बसपा के शिवशंकर सिंह के बीच कांटे की टक्कर हुई थी।इसमें शिवशंकर सिंह 8365 वोट से चुनाव हार गए थे। इस सीट पर पहली बार चुनाव 1967 में हुआ था। जिसमे कांग्रेस के विजय कुमार विधायक चुने गए थे 1969 में यह सीट कांग्रेस के खाते में आई और चन्द्रभानु गुप्ता विधायक बने। 1974 में विजय कुमार कांग्रेस के टिकट पर दोबारा विधानसभा पहुंचे। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर छेदा सिंह चौहान विधायक बने। वहीं 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विजय कुमार तीसरी बार विधायक बने।1985 में शारदा प्रताप शुक्ल यहां से निर्दलीय विधानसभा पहुंचे।इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर शारदा प्रताप शुक्ला दूसरी बार विधायक बने।1991 में कांग्रेस के विजय कुमार इस सीट पर काबिज हुए
-1993 में खुला था सपा का खाता
सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर 1993 में पहली बार समाजवादी पार्टी इस सीट पर काबिज हुई और सरोजनी नगर के ही गौरी गाव में रहने वाले श्याम किशोर यादव विधायक बने।वहीं 1996 के चुनाव में भी श्यामकिशोर ने अपनी जीत कायम रखी थी।
-2002 में बसपा हुई काबिज
2002 तक सपा का जनाधार खिसका और यह सीट सपा के हाथ से निकलकर बसपा के पाले में चली गयी। इस सीट पर 2002 और 2007 में लगातार दो बार बसपा के मोहम्मद इरशाद विधायक बने। 2012 में सपा से शारदा प्रताप शुक्ला ने फिर वापसी की। वहीं 2017 में स्वाति सिंह ने भाजपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ा और विधायक बनीं।