*पश्चिमी उत्तरप्रदेश गन्ना घोल रहा है किसानों के बीच मिठास*

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*पश्चिमी उत्तरप्रदेश गन्ना घोल रहा है किसानों के बीच मिठास*
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सपा के शासनकाल में पश्चिमी यूपी में गन्ना किसान और चीनी मिलें प्रायः परस्पर कड़वे अनुभव के लिए जानी जाती थी।चीनी मिलों और किसानों के बीच हमेशा एक जंग छिड़ती थी।पश्चिमी उत्तरप्रदेश में अनेक चीनी मिलें है।गुड़ बनाने और खांडसारी की अनेक इकाइयां है।पश्चिमी यूपी में आय के स्तोत्र काफी ठीक है ।पश्चिमी यूपी ग्राम आधारित उधोग है और यहां किसान हमेशा यही रोना रोता था कि किसानों को समर्थन मूल्य नही मिलता था।सपा बसपा की सरकारे किसानों का शोषण करने में माहिर थी।कांग्रेस ने भी किसानों के प्रति शोषणवृति पुरजोर जारी रही थी।समाजवादी सरकार में आधे कीमत पर किसानों से गन्ने की खरीदी की जाती थी।किसान इसलिए आत्महत्या करता था।क्योंकि किसान को घाटा होता और कर्ज बढ़ता जाता था। चीनी उधोग प्रोत्साहन नीति का लाभ चुनिंदा उधमी ही उठा पाते थे।करोडो निवेश करने वाली सुगर मिलो से लोगो को रोजगार भी उपलब्ध होता है।चीनी मिलों और किसानों के बीच तकरार हर समय चलती रहती थी।राज्य और केंद्र सरकार इन विवादों के बीच उलझती रहती थी।समय पर भुगतान नही करने से किसान हमेशा चिंताग्रस्त रहता था।मुजफ्फरनगर और मेरठ आदि की चीनी मिलें बेहिसाब कमाई करती थी लेकिन किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर परेशान करती थी।सरकार और चीनी मिलें के बीच योगी सरकार ने दूरियां खत्म कर दी।योगी आदित्यनाथ सरकार ने सपा से करीब ढाई गुना गन्ने का अधिक भुगतान किया।जिससे किसान खुशमिजाज है।पिछले पांच साल में चीनी मिलें अपडेट हुई है।चीनी मिलें मिठास घोल रही है।पश्चिमी उत्तरप्रदेश भाजपा के लिए अधिक मायने रखने वाला है।2017 चुनाव में भाजपा को 52 सीटे मिली थी।अधिकतर क्षेत्रो में गन्ने की खेती होती है।सरकार में गन्ना मूल्य भुगतान अहम मुद्दा है।योगी सरकार ने भाजपा की सरकार बनने के बाद 95,650 करोड़ का किसानों को गन्ने का भुगतान किया है।जो यह रकम सबसे ज्यादा है।और इतना भुगतान पीछे की किसी भी सरकार ने नही किया है।

*कांतिलाल मांडोत*

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